SANTOSH KUMAR BARGORIA 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद इस कविता के माध्यम से कवि लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं की हमें जिन दोस्तों पर सबसे ज्यादा गर्व था जिन पर सबसे ज्यादा विश्वास था उन दोस्तों को कुछ दुश्मनों से मिलता देख मुझे बेहद दुख हुआ। में भल 45356 0 Hindi :: हिंदी
महफिल में कमी ना थी, दोस्तों की लेकिन । चंद दुश्मनों से जाकर, कुछ दोस्त मिल चुके थे ।। वे जो नजरे मिलाने से भी, कभी कतराते थे हमसे । साथ पाकर मेरे दोस्तों का, मुझसे बेख़ौफ हो चुके थे ।। मेरे साथ रच रहे थे, वो बस षड़यंत्र पे षड़यंत्र । अपनी नाकामी पर भी वो बस, मुझको ही दोष रहे थे ।। वो तो भला हो मेरे उन दुश्मनों का, जो हमें सिर्फ नुकसान पहुंचना चाहते थे संतोष । वर्ना दोस्त तो हमें, जान से मारने की ही सोच रहे थे ।। 🙏धन्यवाद 🙏 संतोष कुमार बरगोरिया --------------------------------- (साधारण जनमानस)
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