मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत # maroof#gajal#shayari#poetry hindi 39045 0 Hindi :: हिंदी
उसे देखकर आखिर क्यों मचल जाता जब वो नही बदला मैं क्यों बदल जाता वो चराग होकर भी जल न सका कभी मैं दियासलाई होकर क्यों जल जाता तेरी बेमुरव्वती ने जी भर दिया उसका वो आज ही चला गया जो कल जाता मैंने ही जलना मुनासिब समझा प्यार मे अगर मैं नही जलता तो वो जल जाता महीना,साल,सदीयां नही थीं फकत एक दिन ही तो था,चढ़ता,चढ़कर ढल जाता वो मोम था गर्मी बर्दाश्त नही थी उसको अगर हाथ लगाता तो शायद गल जाता मारूफ आलम