मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत #muhabat#pyar#gajal#hindi gajal#urdu poetry 46482 2 5 Hindi :: हिंदी
मुहब्बत के मारे हम वहाँ भी थे यहाँ भी हैं गर्दिशों के तारे हम वहाँ भी थे यहाँ भी हैं सोचते थे यहाँ तकदीर बदल जाएगी मगर किस्मत के हारे हम वहाँ भी थे यहाँ भी हैं बुतों के मानिंद तुम्हारे कंधों का बोझ हैं बस तुम्हारे ही सहारे हम वहाँ भी थे यहाँ भी हैं जरा भी नही बदला ऐ दोस्त मिज़ाज हमारा समंदर से खारे हम वहाँ भी थे यहाँ भी हैं हम फितरत से अब भी जुदा नही हैं अपनी सूरत से बेचारे हम वहाँ भी थे यहाँ भी हैं मारुफ आलम मानिंद- समान, सदृश