मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक # सितारे# थामे रखता हूँ#गजल 19693 0 Hindi :: हिंदी
गली गली हथकड़ियों मे बांध कर गुजारे जाते हैं सलीबों पे मसीहा आज भी टांग कर मारे जाते हैं खुद्दारों की लाशों पे पहले भरपूर नुमाइश होती है एक अरसे बाद जाकर फिर जनाजे उतारे जाते हैं जीते जी जिनके नाम ओ काम से नफरत होती है मरने के बाद उनके नाम तस्बीह पर पुकारे जाते हैं कभी कभार ही दरियादिली का ये मौसम आता है कभी कभार ही रस्तों के ये किनारे सुधारे जाते हैं सितारों को थामे रखता हूँ तो,हाथों से जमीं जाती है जमीं को थामे रखता हूँ तो,हाथों से सितारे जाते हैं मारूफ आलम