मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य #bekabu#parinda# परिंदा# मारूफ आलम 54993 0 Hindi :: हिंदी
हद से बेकाबू होता हुआ परिंदा होशो हवास खोता हुआ परिंदा अब हर डाल पर मौजूद है बस बैबस उदास रोता हुआ परिंदा खुआबों की दुनिया से अचानक चौंक के उठा सोता हुआ परिंदा कल दरख्तों पर देखा था हमने जख्म अपने धोता हुआ परिंदा तूफानों के बाद,एक बार फिर से नए तिनके पिरोता हुआ परिंदा मारूफ आलम