मोती लाल साहु 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक गुम हो गए हम ज्ञान के संसार में,मेरे मुर्शीद हम समझ ही नहीं पाते तुम्हारी दया-कृपा को। तुम ही लाज रखना मेरा हर करम अब तुम्हारी पूजा है, तुम्हारा ज्ञान ही मेरा मंजिल है। 10879 0 Hindi :: हिंदी
गुम हो गए हम, सफर-ए-सुहाना। समझ ही न पाएं, नजर-ए-करम को।। लाज रखना, ए-मेरे-मुर्शीद। मेरे हर करम हैं, तुम्हारे इबादत।। आपकी इनायत, खुदा की नजर है। तुम्हारा-ए-इल्म है, मेरा है-ए-मंजिल।। सफर-ए-सुहाना, गुम हो गए हम।। मोती-