Prashant Kumar 12 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत Best gazal 7449 0 Hindi :: हिंदी
अहले हुस्न देकर खुद को कँगाल कर बैठे मुझ गरीब का इतना क्यों ख़याल कर बैठे। ऐसी वैसी तो कोई बात भी नहीं थी खांमखां तिरी बातों का मलाल कर बैठे। हम भी रूबरू होंगे वो भी रूबरू होगा उससे कहना आंखों में आंख डाल कर बैठे। गुल खिलाने आए थे प्यार के दिलों में हम कांटा नफरतों का दिल से निकाल कर बैठे। हर बहू ओ बेटी से प्रार्थना है आंगन में अपने सर पे चुनरी या पल्लू डालकर बैठे। प्रशांत कुमार