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टैटू -माता-पिता के द्वारा प्रदत्त मूल्यवान उपहार है

virendra kumar dewangan 25 Jul 2023 आलेख अन्य cultural 6619 0 Hindi :: हिंदी

छत्तीसगढ़ में जनश्रुति है कि टैटू यानी गोदना, कन्या को माता-पिता के द्वारा प्रदत्त मूल्यवान उपहार है। यह नारी देह का सौंदर्य प्रसाधन, उसका अलंकरण, उसका जेवर है। छत्तीसगढ़ी लोक-जीवन में अवधारणा है कि गोदना स्वर्ग को रेखांकित करनेवाला अमिट निशान है; इसलिए इसको गुदानेवाली नारी सीधे स्वर्ग को प्रस्थान करती है, मृत्यु उपरांत भी कष्ट नहीं पाती। 

इस तथ्य की सम्पुष्टि छत्तीसगढ़ में व्याप्त लोक-कथाओं और लोक-गाथाओं से होती है, जिसमें कहीं यमराज से, तो कहीं शंकर-पार्वती से इसके लिए अनुनय-विनय किया जाता है।

	प्राचीनकाल में आज के सरीखे सौंदर्य प्रसाधनों व ब्यूटी पॉर्लरों का सर्वथा अभाव था। उस दौर में उनके पास प्राकृतिक रूप-रंग, प्रकृति से प्राप्त खान-पान, दादी-नानी के तौर-तरीके तथा जड़ी-बूटियों के अलावा दूसरे साधन नहीं थे।
 
लिहाजा, उस दौर की महिलाओं ने अपने शरीर की सुंदरता को उभारने और उसको विशिष्ट बनाने के लिए गोदना-प्रथा को अपनाया, जो आज भी बदस्तूर जारी है। यह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण, पर्वतीय, व जंगली इलाकों में आज भी सौंदर्य सूचक के रूप में विद्यमान है, जिसे हाट-बाजारों व मेले-मंडइयों ने निरंतर विकसित व पल्लवित किया है।

 यही कारण है कि अब गोदना गुदाना पुरुषों को भी अच्छा लगने लगा है तथा यह विस्तारित होकर शहरी युवक-युवतियों के लिए भी आकर्षण व फैशन बन गया है। अब, शहरों-नगरों में युवावर्ग भी इसे गुदाने लगे हैं तथा नाम दिया है टैटू व टॉटम। 

शहरी सभ्यता में इसे गुदाने और अपने शरीर पर चित्रकारी करने का आशय यह कि ये अपनेआप में विशिष्ट और अलग दिखें। सबको प्रभावित व आकर्षित करें। यही वजह है कि तमाम सेलिब्रिटिज टैटू गुदवाते हैं और शान से इसे प्रदर्षित करके अलग दिखने का प्रयास करते हैं।

	गोदना, अलग जातियों के अलग-अलग होते हैं। इनमें भी गोंड, सिदार व हलबा जाति के गोदने का प्रकार अलग व विशेष होता है तथा इन प्रकारों को ही गुदाने का रिवाज है। किंतु, सोच व कल्पना को सीमा में बांधा नहीं जा सकता। यह अनंत व कल्पनातीत है। इसलिए अब इस क्षेत्र में भी नये-नये प्रयोग होने लगे हैं। 

गोदना के कुछ प्रकार ऐसे भी हैं, जिसकी महत्ता मरणोपरांत भी कम नहीं होती, ऐसा माना जाता है। इसमें ह्दयस्थल में संकरी इसलिए गुदाया जाता है, ताकि मृत्युपरांत परलोक में पति व मां से मुलाकात हो सके।
 
भाव यह कि गोदना तन पर उकेरा गया चित्र मात्र नहीं है, अपितु जीवन-मरण में चिरस्थायी व चिरायु रहनेवाला स्थिर अलंकरण भी माना और जाना जाता है।

गोदना गुदाने के बाद की सावधानीः आजकल ग्रामीणों के साथ-साथ शहरी नौजवानों में गोदना गुदाने का चलन निरंतर बढ़ रहा है। शहरों में फैशनेबल दिखने के लिए, तो ग्रामीणों में परिपाटी को बनाए रखने के लिए गोदना गुदाया जा रहा है। यह अच्छी बात है। 

इसके साथ ही हमें यह भी याद रखना चाहिए कि गोदना गुदाने के दो-तीन दिन तक लोशन एवं साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से कैमिकल्स के प्रभाव से स्कीन खराब होने का खतरा रहता है। इंफैक्शन का डर रहता है। 

नहाने के बाद पानी को जोर से नहीं पोछना चाहिए। गोदे हुए स्थल को धूप से बचाव करना चाहिए। खुजली होने पर न खुजला कर हलके हाथों से बेबी ऑयल लगाना चाहिए। अन्यथा लेने-के-देने पड़ सकते हैं। आप को शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। 

इसलिए गोदना गुदाने के बाद कम से कम पांच दिन परहेज कर लिया जाए, फिर जीवनभर टैटू के साथ जीया जाए। पांच दिन की सावधानी के उपरांत कोई परेशानी नहीं होती।
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अनुरोध है कि पढ़ने के उपरांत रचना को लाइक, कमेंट व शेयर करना मत भूलिए।

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