मोती लाल साहु 30 Mar 2023 आलेख समाजिक तेरा अनुराग, यह प्रकृति अनवरत संपन्न हो रही है। 86462 0 Hindi :: हिंदी
तेरा अनुराग.... हे अतुल हे अनुप ! जगत में - सृष्टि का ताज है मानव तन में- समा रहे हो, जीवन के बीज हो तुम ये जीवन - जो खिल रहे हैं , तुम ही प्रस्फुटित हो रहे हो तुम्हीं तो - हो एक जो छुप कर , आ रहे हो इन सांसो में कहां तक - ये प्राण की वायु , तन में समा रही है किसकी ये मजाल - यह प्रकृति , अनवरत संपन्न हो रही है तेरा अनुराग.... -मोती