YOGESH kiniya 30 Mar 2023 आलेख अन्य वर्तमान शिक्षा नीति में विद्यार्थी हित में कुछ नवाचार हेतु सुझाव। 15909 0 Hindi :: हिंदी
इतिहास गवाह है, हर युग की शिक्षा नीति और उसकी परिकल्पना समय की मांग और उससे मिलने वाले अनुमानित परिणामों की अपेक्षा के आधार पर बनाई जाती है। और स्वाभाविक है वर्तमान शिक्षा नीति का प्रारूप और उसकी परिकल्पना भी समय की मांग और सुनहरे भविष्य की परिकल्पना को मद्देनजर रखकर बनाई गई है। मै एक शिक्षक हूं, और मेरा कार्य वर्तमान शिक्षा नीति को धरातल पर उतारना है । परंतु वर्तमान शैक्षिक हालात को देखते हुए इस शिक्षा नीति से मैं दो और अपेक्षाएं रखना मुनासिब समझता हूं। पहली ,वर्तमान शिक्षा नीति से अपनी शिक्षा पूर्ण करके निकलने वाला दीक्षार्थी किसी न किसी क्षेत्र में पूर्णत दक्ष और पारंगत होना चाहिए। दीक्षांत परिणाम प्राप्त करने के पश्चात दीक्षार्थी के चेहरे और मन से आत्मबल और स्वावलंबन का भाव झलकना चाहिए। उस हुनरमंद के मन में यह भाव आना चाहिए ,कि मैं अब इस देश का एक जिम्मेवार नागरिक बन चुका हूं। और अपनी दक्षता से अपने देश की अर्थव्यवस्था को और ज्यादा मजबूती प्रदान करने जा रहा हूं । ना कि उस दीक्षार्थी के मायूसी भरे चेहरे पर देश की अर्थव्यवस्था से बेरोजगारी भत्ता उठाने की कुंठा का भाव हो। वर्तमान में हम देश के भविष्य को बेरोजगारी भत्ता प्रदान करके उसे आर्थिक संबल तो प्रदान कर रहे हैं । परंतु इससे कही न कही उसके मन में यह भाव भी पैदा कर रहे है कि आपने अब तक केवल दीक्षा प्राप्त की है ,दक्षता नहीं ! अतः हमारी शिक्षा प्रणाली को दक्षतापूर्ण बनाया जाए। वर्तमान शिक्षा नीति और सरकार से मेरी दूसरी और महत्वपूर्ण अपेक्षा है ,विद्यालयों में मार्शल आर्ट निपुण शारीरिक शिक्षिकाओ की नियुक्ति। ताकि कलिकाल में दानवी सोच के साथ जीने वाले राक्षसों से अपनी आत्मरक्षा करने का हमारी बेटियां गुर सीख सके। इसके लिए आवश्यकता है कम से कम हर पंचायत क्षेत्र में एक मार्शल आर्ट दक्ष शारीरिक शिक्षिका की नियुक्ति हो। निसंदेह हमारी सरकार बेटियों की रक्षा के लिए सजग है। तथा इसके लिए विद्यालय में कार्यरत शिक्षिकाओं को दस दिन का मार्शल आर्ट प्रशिक्षण देकर उन्हें दक्ष बनाने में प्रयासरत है। परंतु अगर हम यह सोचे की दस दिन का प्रशिक्षण प्राप्त सामान्य शिक्षिका दस माह का प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले वाली शारीरिक शिक्षिका के समान छात्राओं को आत्म रक्षा करने में निपुण कर देगी तो यह बात केवल मार्जरी से अपने बचाव में कबूतर द्वारा आंखें बंद कर लेने से अधिक कुछ नहीं होगा। निसंदेह शिक्षा नीति को बनाने वाले बहुत ही अनुभवी शिक्षाविद और अपने क्षेत्र के महारथी होते हैं । अगर वो शिक्षाविद अपने अमूल्य समय में से कुछ क्षण निकालकर मेरी तरह शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने वाले शिक्षकों की लेखनी पर क्षणिक चिंतन करें तो कोई हर्ज ना होगा।
Senior teacher Swami Vivekanand government model school siwana, Barmer...