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*संकष्टी तिल चतुर्थी व्रत-* 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह💐

Karan Singh 30 Mar 2023 आलेख धार्मिक Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/भंडारा और तीन दोस्त/हिन्दू परम्पराएं और उनका महत्व/चौदह प्राचीन हिन्दू परम्पराएं और उनसे जुड़े लाभ/Sapno ka sodagar... Karan Singh/शादी-विवाह का महत्व/शादी-विवाह के लिए गोत्रो का महत्व/चयन का महत्व/भक्ति/धार्मिक कथा/रामायण/महाभारत/***************************************** *🌸प्रेरक कहानी🌸*#सहारा** 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/सहारा/छोटी बहू/आदर्श बहु/जिम्मरदारी/*🌳🦚प्रेरक कहानी🦚🌳 *💐💐ओहदे की कीमत(दहेज में)💐💐 #प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर......करण सिंह#/ओहदे का महत्व/दहेज प्रथा/नारी शक्ति/बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ/बेटियां/*प्रेरक कहानी* *मेहनत के फल का महत्व* 💐सपनों का सौदागर......करण सिंह💐/मेहनत के फल का महत्व/karan singh/सपनों का सौदागर/*🌳प्रेरक कहानी🦚🌳 *💐💐कलियुग-धर्म💐💐* सपनों का सौदागर.....करण सिंह/कलियुग धर्म/*प्रेरणास्पद कहानी 💐*प्रोफेसर की सीख..*💐 ✍🏻प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर.....करण सिंह/प्रोफेसर की सीख/Ram/जय श्री राम/धार्मिक महत्व/सपनों का सौदागर.... करण सिंह/ Karan Singh/google/सनातन धर्म/*संकष्टी तिल चतुर्थी व्रत-* 💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह💐/संकटी तिल चतुर्थी व्रत/☺️ 7519 0 Hindi :: हिंदी

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*संकष्टी तिल चतुर्थी व्रत-*
💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह💐
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*संकष्‍टी चतुर्थी इस बार नए साल में 10 जनवरी को मनाई जएगी।* इसे सकट चौथ और तिल चौथ भी कहते हैं। इस बार की संकष्‍टी चतुर्थी *मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए इसे अंगारकी संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाएगा।* इस दिन गणेशजी के साथ ही हनुमानजी की पूजा करने का भी विशेष महत्‍व बताया गया है। 

प्रत्‍येक महीने के *कृष्‍ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्‍टी चतुर्थी कहते हैं।* माघ मास में पड़ने वाली संकष्‍टी चतुर्थी का विशेष महत्‍व होता है। इस बार की संकष्‍टी चतुर्थी मंगलवार को पड़ने से य‍ह और भी खास मानी जा रही है। *मंगलवार को होने की वजह से इसे अंगारकी संकष्‍टी चतुर्थी कहा जाता है।* इस दिन माताएं अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना करते हुए गणेशजी की पूजा करती हैं और सकट चौथ का व्रत करती हैं। *इस दिन माताएं निर्जला व्रत करती हैं* और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्‍य देकर व्रत का पारण करती हैं।


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*संकष्टी तिल चतुर्थी व्रत-*
💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह💐
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*संकष्‍टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त-* 
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पंचांग में दिए गए समय के अनुसार संकष्‍टी चतुर्थी का व्रत 10 जनवरी 2023 को रखा जाएगा। *संकष्‍टी चतुर्थी का आरंभ 10 जनवरी को दिन में 12 बजकर 09 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 जनवरी को दिन में 2 बजकर 31 मिनट पर होगा।* यह व्रत रात को चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद खोला जाता है, इसलिए इस व्रत की तिथि 10 जनवरी को मानना ही सर्वसम्‍मत होगा। *10 जनवरी को चंद्रोदय का वक्‍त रात को 8 बजकर 41 मिनट पर बताया गया है।*

*संकष्‍टी चतुर्थी की पूजा विधि-*
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संकष्‍टी चतुर्थी पर सूर्योदय से पहले *तिल के पानी से स्‍नान करें और फिर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके भगवान गणेश की पूजा करें।* गणेशजी को तिल, गुड़, लड्डू, दुर्वा और चंदन अर्पित करें। *साथ ही मोदक का भोग लगाएं।* इस व्रत में तिल का खास महत्व है इसलिए जल में तिल मिलाकर अर्घ्य देने का विधान है। पूरे दिन व्रत करने के बाद *शाम को सूर्यास्‍त के बाद पुन: गणेशजी की पूजा करें और उसके बाद चंद्रोदय की प्रतीक्षा करें।* चंद्रोदय के बाद चांद को तिल, गुड़ आदि से अर्घ्य देना चाहिए। *इस अर्घ्य के बाद ही व्रती को अपना व्रत खोलना चाहिए।* गणेशजी की पूजा के बाद तिल का प्रसाद खाना चाहिए। *जो लोग व्रत नहीं रखते हैं उन्हें भी गणेशजी की पूजा अर्चना करके* संध्या के समय तिल से बनी चीजें खानी चाहिए।

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*संकष्टी तिल चतुर्थी व्रत-*
💐प्रस्तुतकर्ता-सपनों का सौदागर....करण सिंह💐
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*संकष्‍टी चतुर्थी का महत्‍व-*
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संकष्‍टी चतुर्थी का *अर्थ संकटों का हरण करने वाली चतुर्थी होता है।* इस व्रत को करने से गणेशजी प्रसन्‍न होकर हमारे सभी संकट दूर करते हैं *और संतान को दीघार्यु का आशीर्वाद देते हैं।* यह भी मान्‍यता है कि इसी दिन पौराणिक काल में *भगवान शिव ने गणेशजी को हाथी का सिर लगाकर उनके संकट दूर किए थे,* तब से इस दिन को संकष्‍टी चतुर्थी के रूप में पूजा जाने लगा। इस दिन व्रत में भी भगवान गणेश की पूजा के साथ *उपवास रखा जाता है और कथा सुनाई जाती है।*

*तिल कूट संकष्टी चतुर्थी की कथा-*
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किदवंती है कि एक बार *माता पार्वती स्नान करने गई।* उसी समय उन्होंने बाल्य गणेश को यह कहकर स्नान गृह के दरवाजे पर खड़ा कर दिया कि *जब तक मैं स्नान कर बाहर न आऊं तुम किसी को अंदर मत आने देना।* बाल्य गणेश स्नान गृह के बाहर दरबानी बन पहरा देने लगे। *तभी भगवान शिव किसी जरूरी कार्य से माता पार्वती को ढूंढ रहे थे।* यह वक्त माता पार्वती के स्नान का था। यह सोच भगवान शिवजी स्नान गृह आ पहुंचें। *यह देख बाल्य गणेश ने उन्हें स्नान घर में जाने से रोका।* इससे भगवान शिव रुष्ट हो गए। उन्होंने बाल्य गणेश को मनाने की कोशिश की, लेकिन भगवान गणेश नहीं मानें।

बाल्य गणेश ने कहा-मां का आदेश है, जब तक वह बाहर नहीं आ जाती हैं। तब तक कोई अंदर नहीं जा सकता है। *यह सुन भगवान शिव क्रोधित हो उठे और त्रिशूल से प्रहार कर बाल्य गणेश का मस्तक को धड़ से अलग कर दिया।* बाल्य गणेश की चीख से माता पार्वती दौड़कर बाहर आई। अपने पुत्र को मृत देख माता पार्वती रोने लगी।

समस्त लोकों में हाहाकार मच गया। *तब भगवान शिव को अपनी गलती का अहसास हुआ।* माता ने भगवान शिव से पुत्र के प्राण वापस देने की याचना की। *यह कार्य विष्णु जी ने पूर्ण किया।* जब उत्तर की दिशा में बैठे ऐरावत का सर धड़ से अलगकर उन्होंने भगवान गणेश जी को लगा दिया। इससे भगवान गणेश जीवित हो उठे। *कालांतर से महिलाएं बच्चों के दीर्घायु होने के लिए सकट चौथ का व्रत करती हैं।*

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*संकष्टी तिल चतुर्थी व्रत-*
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