Rukmini 07 Apr 2023 आलेख दुःखद समाज की सच्चाई 16966 0 Hindi :: हिंदी
ये तो सच हैं की घर को पकर कर बेटा भी नही रहता, लेकिन कन्या दान सिर्फ बेटियों का ही क्यों l बेटी कोई वस्तु तो नही जो दान कर दिया जाय, फिर बेटी का ही दान क्यों l जिस तरह बेटे को नौ महीने माँ अपने कोख में रखती, उसी तरह तो माँ अपनी बेटियों को भी नौ महीने कोख में रखती, तो फिर ये जमाना बेटी को पराया धन कहती हैं क्यों l बेटा अगर दिन भर बाहर रहे तो ये सृष्टी की रचना हैं, अगर बेटी दो पल नज़रों से हट जाए तो समाज़ के लिए वो बेटी कलंकनि बन जाती है l खैर ये तो दस्तूर हैं जमाने की, नही तो कोई समान दिन कोख में रखकर अपने संतानों में अंतर करती ही क्यों l मुझे बस ये कोई बता दो, की बेटियों का घर कहाँ हैं l जहाँ ये सुनने को ना मिले की, पराये घर जायेगी और पराये घर से आई है l ए खुदा एक ऐसा भी जहाँ बनाता , जहाँ बेटियां भी सुकून से जीती और अपने सपनो को ले आसमा मे उड़ती l ए खुदा इतनी अच्छी दुनिया में पहले से ही ये नियम बनाये क्यों नही, आज जो कटती है टुकरो में बिखरती है उसे बचाने तुम आते क्यों नही l