virendra kumar dewangan 20 Sep 2023 आलेख राजनितिक Political 4780 0 Hindi :: हिंदी
नौ से दस सितंबर के बीच नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन कई मायने में ऐतिहासिक व अभूतपूर्व रहा। इसमें उन तमाम विषयों पर (73 बिंदुओं पर) आम सहमति बनी और घोषणापत्र जारी हुआ, जो भारत और उसके सहयोगी देश चाहते थे। इसीलिए इसे सफलतम सम्मेलन माना जा रहा है, जो भारतीय कूटनीतिक कुशलता की मिसाल है। फिर चाहे जैव ईधन पर बना नया गठबंधन हो, भारत से पश्चिम एशिया होते हुए यूरोप तक रेल नेटवर्क बिछाने का इकानामिक कारीडोर हो, रूस-यूक्रेन युद्ध हो, जी-20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल करने की दृढ़इच्छा शक्ति हो, सभी निर्णयों में भारतीय रणनीतिकारों की सफलता साफ देखी जा सकती है। यही नहीं, कभी भारत का विरोध करनेवाले भारत की कुशल व सफल मेजबानी से अभिभूत अमेरिका व तुर्किए जैसे देशों के राष्ट्राध्यक्ष तक भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की पैरोकारी करते दिखे हैं। दरअसल, जी-20 एक ऐसा समूह है, जो दुनिया की 80 प्रतिशत आबादी सहित 80 से 90 प्रतिशत अर्थव्यवस्था इन देशों के इर्द-गिर्द समाई हुई है। इसमें विश्व के तमाम विकसित व बड़े देश शामिल हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को खासतौर पर प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। ये देश हैं-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन, भारत, जापान, जर्मनी, इटली, कनाडा, आस्टेªलिया, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, तुर्किए, नाइजीरिया, यूएई, सउदी अरब और यूरोपीय यूनियन। नई दिल्ली घोषणापत्र में सबसे अहम कामयाबी मिली है, चालबाज चीन के सीपेक के मुकाबले में इकानामिक कारिडोर का निर्माण करना, जिसमें भारत सहित अमेरिका, यूएई, सउदी अरब, जर्मनी, जापान, फ्रांस व इटली ने घन निवेश की सहमति दी है। यदि यह कारिडोर निर्माण मूर्तरूप ले लेता है, तो विस्तारवादी चीन व आतंकिस्तान-पाकिस्तान की कुटील चालों को करारा झटका लगेगा और इससे जुडे़ हुए मुल्क व्यापारिक साझेदारी के माध्यम से जहां अपने देश को सशक्त कर करेंगे, वहीं अपने लोगों का जीवन खुशहाल बना सकेंगे। भारत ने प्रधानमंत्री नरेद्रमोदी के नेतृत्व में जो कामयाबी हासिल की, उसका प्रभाव वैश्विक ही नहीं, घरेलू राजनीति पर भी दीर्धगामी पड़नेवाला है। ऐसा राजनीतिक प्रेक्षकों का अनुमान है। प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में यह भी साबित करने का प्रयास किया कि भारत के प्राचीन धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय, कोणार्क का सूर्यमंदिर, नटराज की अद्भुत मूर्ति, गांधी की समाधि पर बड़े-बड़े राष्ट्राध्यक्षों की आदरांजलि, भोजन में अधिकतम मिलेट का प्रचार-प्रसार, वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा, खादी के गमछे से स्वागत-सत्कार, वैश्विक नेताओं के द्वारा नमस्ते को अपनाना और एक विश्व, एक भविष्य को रेखांकित करना बेजोड़ है, जो भारत के उज्ज्वल भविष्य को रेखांकित करने सरीखा है। सम्मेलन में खोने के लिए कुछ नहीं था। इसमें भारत को मिला ही मिला और जो कुछ मिला, वो भारत को वैश्विक शक्ति बनाने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। --00-- निवेदन है कि पढ़ने के उपरांत रचना/लेख को लाइक, कमेंट व अधिकतम शेयर जरूर कीजिए।