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व्यंग- भारत जोड़ो यात्रा!

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 आलेख हास्य-व्यंग भारत जोड़ो यात्रा, Bharat jodo Yatra, Jitendra Sharma 14120 0 Hindi :: हिंदी

व्यंग~"भारत जोड़ो यात्रा"
लेखक~जितेन्द्र शर्मा।
तिथी~05/01/2023

मुख्य मार्ग पर घर होने के कुछ विशेष लाभ भले ही हों कभी-कभी हानि भी बहुत होती है। जनवरी मास का उत्कर्ष काल और ठंड अपने चरम सीमा पर, प्रातः दस बजे रजाई छोड़कर इस विचार से बाहर निकला, कि देखता हूं यदि सूर्य देव की कुछ कृपा बने तो स्नान करने का मुहूर्त बनाया जाए। किंतु बाहर निकलना जैसे मेरे लिए दोहरी मुसीबत लेकर आया। एक और जहां बहुत ठंडी हवा के साथ कोहरा वापस रजाई में छुप जाने के लिए प्रेरित कर रहा था, वही कुलभूषण जी जो हमसे चार घर की दूरी पर निवास करते हैं तथा जिन्हें पीठ पीछे लोग कुल्लु व सामने कुलभूषण जी कहकर पुकारते हैं, अपनी चिर परिचित मुस्कान लिए अचानक नमुदार हुए। आज की उनकी वेषभूषा देखकर मैं चकित रह गया। श्रीमान जी बहुधा झक सफेद कुर्ता पैजामा और सिर पर कटे हुए हाथ के पंजे वाली टोपी तथा पैरों में चर-चर करती चमड़े की जूतियां पहने पाये जाते हैं किन्तु आज टांगों में बड़ी मुश्किल से फंसाई गई जींस व हाफ बाजू की टी शर्ट पैरों में जूतियों की जगह स्पोर्ट शूज में सजे धजे पाये गये। 
सोचा थोड़ा छेड़ा जाय-"श्रीमान जी की सवारी इतनी ठण्ड में कहां चली।" हम मुस्कराते हुए बोले।
"जानते नहीं भारत जोड़ो यात्रा चल रही है। आज हमारे प्रदेश में हैं और हमारे ही जनपद में। अब यह सुअवसर मिला है तो उसमें शामिल होने जा रहा हूं।" श्रीमान जी ने गर्व से सीना चौड़ा करते हुए कहा।

"भारत जोड़ो तो ठीक है पर महोदय कपड़े तो ठीक तरह से पहन लिये होते। देख नहीं रहे कितनी ठंड पड़ रही है।" हमने सहानुभूति दिखाने के लिए कहा।

शर्मा जी इस प्रकार चमक गये जैसे कोई भैंस लाल कपड़ा देख कर चमक जाती है। अकड़ कर बोले-
"अब तो टी शर्ट ही चल रही है और यही चलेगी। हमारे हाई कमान ने देश को साफ साफ बता दिया है और अब आप भी ठीक तरह से समझ ही लीजिये शर्मा जी।"

किसी ज्ञानी ध्यानी ने साफ कहा है कि लम्बे समय तक सत्ता से बाहर रहे छुटभैये नेतोओं की हालत कुपोषित बच्चे जैसी हो जाती है। मालूम नहीं किस बात पर भड़क जायेंं। अतः हमने उनकी बात पर कोई प्रतिक्रिया किये बिना ही नमस्ते करके घर की राह ली।
***

शाम आठ बजे श्रीमति जी ने हमारे पास आकर कहा- "जानते हो तुम्हारे कुल्लु भैया को क्या हुआ?"
"टैं बोल गये क्या?" हमने हास्य के अंदाज में पूछा।
"टैं तो नहीं बोले किन्तु अभी अभी उन्हें एम्बुलेंस से उतारकर खाट पर लिटाकर घर के अन्दर पहुंचाया गया है। पूछने पर पता चला कि भारत जोड़ो यात्रा में गये थे। ठण्ड के कारण निमोनिया हो गया। अस्पताल से घर पहुंचाये गये हैं।" श्रीमति जी ने बताया तो हमें पुरानी घटना याद आई और हम हंसकर बोले-"खाट पकड़ गयें है तो खतरे की कोई बात नहीं। खाट से अपने कुल्लु जी का पुराना नाता है, पहले भी एक बार वे खाट चर्चा में दल बल के साथ गये थे। शाम को वापस लोटे तो मुंह सूजा हुआ था और कपड़े फटे हुए। लेकिन एक खाट श्रीमान जी के सर पर थी। देखने वालों ने बताया कि खाट की छीना झपटी में शरीर का कोई अंग नहीं बचा था जहां टूट फूट न हुई हो किन्तु खाट नहीं छोड़ी। " 
श्रीमती जी पुराना वृतांत याद कर हंसती हुई रसोईघर की ओर चलीं। और हमने बिना देर किये कछुवे की तरह अपनी गर्दन रजाई के अन्दर खींच ली।
***

"सम्पूर्ण"

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