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लेखः मोबाइल का दुरूपयोग

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख समाजिक मोबाइल 88250 0 Hindi :: हिंदी

लेखः मोबाइल दुरूपयोग
	मोबाइल का चलन इस कदर बढ़ा हुआ है कि लोगों को याद ही नहीं रहता कि इसका इस्तेमाल कब करना चाहिए और कब नहीं? खासकर युवावर्ग को! युवावर्ग मोबाइल को खिलौने की तरह इस्तेमाल कर रहा है। वह जब देखो तब, उसे हाथ में पकड़ा रहता है। जरा-सा खाली समय मिलता है कि वह उसको देखना, उससे खेलना व उसपर सर्फिंग करना जरूरी समझता रहता है।
	आलम यह कि जिस घर मंे जितने सदस्य हैं, उतने मोबाइल हो गए हैं। इस वक्त देश में लगभग 100 करोड़ उपभोक्ता मोबाइल के हैं। इससे मोबाइल का बिग बाजार सज गया है। लेकिन, मोबाइल के जीतने फायदे हैं, उतने नुकसान भी है।
	मोबाइल के अंधाधुंध इस्तेमाल से किसी और का नहीं, खुद उपयोगकर्ता का अहित हो रहा है। इससे दूसरे का नुकसान तब होता है, जब मोबाइलधारक कार, जीप व मोटरसायकिल चालन के दौरान मोबाइल का बेधड़क इस्तेमाल करता है। 
यह वह दुस्साहस है, जो स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए भी जानलेवा हैं। इसमें तब बेहद अफसोस होता है, जब किसी की बदमाशी या लापरवाही का खामियाजा कोई और भोगना पड़ता है। जबकि ऐसा करना कानूनन प्रतिबंधित है। लोगों को प्रतिबंधों व कानूनों की कोई परवाह नहीं रहती। उसे अपनी मनमर्जी जो करनी रहती है। 
अध्ययन से पता चलता है कि भारत में रोजाना होनेवाले सड़क हादसों के कारणों में एक कारण मोबाइल का बेधड़क इस्तेमाल है। ऐसा दृश्य आम है। आपने भी देखा होगा। पढ़ा या सुना होगा। मोबाइल से बतियाते𝔠ाते दो बाइक आपस में भिड़ गए। मोबाइल के कारण वाहन का बैलेंस बिगड़ा। खाई में जा गिरा। फलां अपनी जान गंवा बैठा। अमुक को किसी गाड़ीवाले ने ठोकर मारा। गाड़ीवान मोबाईल की धुन में था। आदि-इत्यादि।
	मोबाइल के प्रति दीवानगी की ये है चंद बानगी। इसका खामियाजा अभागे परिवारों को चुकानी पड़ती है? गर वह कमाऊ रहता है, तो उसकी आमदनी पर असर पड़ता है। मौत की दशा में आय बंद हो जाती। जीवित रहने की दशा में उसके इलाज मे इतना खर्च हो जाता है कि जमापूंजी निकल जाती है। जेवर-जेवरात बिक जाते हैं। जमीन-जायदाद स्वाहा हो जाता है।
	आंकड़े बताते हैं कि देश में मोबाईल के बेजा इस्तेमाल से हर साल करीब 4200 दुर्घटनाएं होती है। इसमें लगभग 2000 लोग असमय काल के गाल में समा जाते हैं। साल-दर-साल तकरीबन 2000 परिवार अनाथ व बेसहारा हो जाते हैं। क्षति अपूरनीय है। इसलिए परवाह की जरूरत है। इस क्षति को मोबाईल का बेवक्त इस्तेमाल न कर रोका जा सकता है।
	लोग इतना तय कर लें कि वे वाहन चालन के दौरान इस खिलौने से दूर रहेंगे। पेट्रोल पंप में मोबाईल से दूरी बनाएं रखेंगे। खतरनाक या जोखिमभरे पर्यटन स्थलों में सेल्फी के लालच से बचेंगे, तो बहुतेरों की जान बची रह सकती है। 
माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने लाडलों और नौनिहालों के मोबाइलप्रेम पर निगाह रखें। उनको वाहन राइडिंग के दौरान इसका इस्तेमाल करने से बचाएं।
	केवल ठानने की जरूरत है। लोग जल्दबाजी छोड़कर धीरज से काम लें। जो बात करना जरूरी हो, तो साइड में रुककर करें। बात जरूरी न हो, तो गंतव्य पहुंचकर करें। इतनी सावधानी से इस जानलेवा समस्या का समाधान मुमकिन हो सकता है।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला veerendra kumar dewangan से सर्च कर या पाकेट नावेल के हिस्टोरिकल में क्लिक कर और उसके चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर कर लेखक को प्रोत्साहित किया जा सकता है। आपके सहयोग की प्रतीक्षा रहेगी।

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