Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख राजनितिक मेरी दिनचर्या 36488 0 Hindi :: हिंदी
जब मैं सारा दिन कार्य करके, थक जाता हूं तो, जब कार्यों में मिलने वाली निंदा से, मेरा मनोबल टूट जाता है, सारा दिन दुख और चिंता और थकान, के मारे मैं मरा मरा जाता हूं, आजकल तो कार्य में होने वाली छोटी मोटी गलतियों पर भी, किसी को डांट फटकार सुना देना इस समाज का फैशन हो चुका है, जब मैं थका हारा, शाम को घर लौटता हूं तो, तो मेरे घर में एक नन्हा सा प्यारा राजकुमार है, जो अपनी मासूम मासूम पांव की कदमों से, दौड़ते हुए और गिरते हुए, मुझसे आकर लिपट जाता है, और मुझे पापा पापा कहता है, और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता, उसे दिल से लगा कर मेरे दिल को, कितनी राहत मिलती है मैं बता नहीं सकता,, वह एक मासूम सा तो जिंदगी है, जितने भी दुनिया नहीं देखी है, अगर उसका पिता मेहनत करने से, घबरा जाएगा तो, उसका परवरिश कैसे होगा, उसका भविष्य क्या होगा, एक पिता आखिर कैसे, अपने मासूम बच्चे को, अपने से अलग करके जीता है, उसे दिल से लगा कर, मेरा दिल किसी मासूम बच्चे की तरह, मचल जाता है, मेरी आंखों में खुशी चमक जाती है, और मेरी सारी थकान मिट जाती है, पर मैं अगले ही पल, कल से मैं खुद को, पहले से बेहतरीन पाता हूं, जो हर कार्य करने के लिए, तात्पर्य रहता है, जिस का मनोबल कभी नहीं टूटता, हां एक पक्षी की तरह है, वह सुबह अपने बच्चों से, वादा करके जाता है, कि वह कुछ ना कुछ, अपने बच्चों के लिए, जरूर लेकर लौटेगा, वह उसे भूखा नहीं रहने देगा, मैं भी अपने बच्चों से वादा करता हूं, कि मैं उसकी जिंदगी के बेहतरीन भविष्य के लिए, दिन रात मेहनत करूंगा, और यही सोच मुझे ताकत देती है, यही मेरी दिनचर्या है, मेरी दिनचर्या की जिंदगी में, मुझे इसे जीतने के लिए, जो ताकत मिलती है, वह मेरे बच्चों से ही मिलती है, हर कोई सवाल करता है, यह गरीब इतना काम कैसे कर लेता है, यह लोग इतना मेहनत कैसे करते हैं, तो यकीन मानो हर गरीब पिता समझता है, वह अपने बच्चों को, बेहतरीन भविष्य के लिए, कड़ी से कड़ी मेहनत करेगा, और यह ताकत उसे अपने बच्चों से मिलती है, और यही उसकी दिनचर्या है, यह मेरी भी दिनचर्या है, इस दुनिया में लगभग कितने लोग इसी प्रकार जीते हैं, इस सत्य को कोई ठुकरा नहीं सकता,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...