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रूबरू हो गए अब जलवा ए-नूर....

मोती लाल साहु 30 Mar 2023 आलेख समाजिक आत्मज्ञान से,अंतःकरण प्रकाशित हो गया है। 33460 0 Hindi :: हिंदी

खुल गए हैं अब वो हर नजर,
जाग उठी चित अब मेरे अंदर।
भटका रहा मैं कई-कई जन्म,
रूबरू हो गए अब जलवा ए-नूर।।
-मोती

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