Barde Jyoti 13 Aug 2023 आलेख समाजिक छोटी चिजोंको हमेशा बढाकर लोग पहाड़ जैसे बना देते हैं 6403 0 Hindi :: हिंदी
कुछ लोग पतानहीं कैसे होते हैं छोटे चिजोंका बडा सा पहाड बनाना कुछ इनसे सिखे देखो ना जैसे कल मेरी उंगली जरा सी जली हुई थी वो तो कब कि ठीक हो गई , हमारे पडोस कि शिलाचाची अचानक आई उसने देखा कि मेरी उंगली जरा सी जली हुई थी तो बस उसने पुरी दवाई कि पाठशाला हि मेरे सामने रख कर चली गई थोडी देर में उनके भी पडोस कि रियामौसी आई और कहने लगी तुम्हारा हाथ जला था ठीक तो है ना लापरवाही बच्ची हो क्या तुझे तो जरा भी तमीज नहीं है लापरवाही कि मिसाईल हैं तु, तो. मेरी एक भी बात उसने सुनी नहीं और जल्दी में चली गई ऐसे करते पुरे मोहल्ले में मेरी उंगली जलने कि खबर हवा के तरह फैल गई, सबसे बड़ी आश्चर्य कि बात यह थी कि मेरी जली हुई जरासी उंगली कि, पुरी उंगली बनी, वही उंगली हाथो का पंजा बनगई, बाद में वही पंजा आधा हाथ बना उसके बाद तो पुछो हि मत पुरा का पुरा हाथ जला हुआ निकला. अबे ओय होना क्या था मै तो पुरी कि पुरी हॅऺग हो गई, कैसे लोग हैं यार कही ये सी.आई. डी. तो नहीं छोटे उंगली का उन्होंने पुरा हाथ हि जला दिया , कैसे कैसे लोग रहते हैं यार यहाँ पे एक बार एक बहु ने शक्कर का डिब्बा गिरा दिया उससे सिर्फ एक चिमटी शक्कर गिर गई, शक्कर कि तो पुरी की पुरी इज्जत ही चली गई चिमटी कि शक्कर मुठ्ठी भर हुई, मुठ्ठि कि शक्कर दो मुठ्ठी हुई, और दो मुठ्ठी कि शक्कर अर्धा किलो हुई और अर्धा कि शक्कर एक किलो कब बनी पता ही नहीं चला, बिचारी बहु दो दिन के लिये अपराधी बन गई यही होता है जिंदगी में छोटे चिजोंका बडा बवाल मचा जाता हैं,