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हरियाणा के नूंह से भड़की साम्प्रदायिक हिंसा

virendra kumar dewangan 05 Aug 2023 आलेख समाजिक Social 8646 0 Hindi :: हिंदी

हरियाणा के नूंह से भड़की साम्प्रदायिक हिंसा राज्य के अन्य इलाकों में बेतहाशा फैल जाने और भारी जानमाल के नुकसान के मद्देनजर सुप्रीमकोर्ट के द्वारा हरियाणा, उप्र व दिल्ली की सरकारों को नफरती भाषण पर प्रभावी रोक लगाने और अधिकतम सीसीटीवी लगाने के जो निर्देश दिए गए हैं, वे काबिलेतारीफ है।

यहां यह कहना लाजिमी है कि न सिर्फ इन तीन राज्यों में, अपितु समूचे देश के राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में भड़काऊ बयानबाजी पर रोक लगनी चाहिए, ताकि देश का माहौल खराब करनेवालों की पहचान उजागर हो और उन्हें बेनकाब किया जाकर अशांतिकारक तत्वों के तौर पर चिंहित किया जा सके। फिर चाहे वे वामपंथी, दक्षिणपंथी, धार्मिक समूह या कोई अन्य हों।

दरअसल, राजनीतिज्ञों, तथाकथित धर्मगुरुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और दीगर तत्वों के द्वारा जो भड़काऊ बयान गाहे-ब-गाहे दिए जाते हैं, उसी की परिणति के रूप में देश के किसी हिस्से में भी पहले सांप्रदायिक तनाव पनपता है, फिर वही क्रिया और प्रतिक्रिया के रूप में सांप्रदायिक हिंसा का रूप अख्तियार कर लेता है। हरियाणा इसका ताजातरीन उदाहरण है।

इसी के साथ नफरती भाषणों को जल्द-से-जल्द परिभाषित करने की आवश्यकता भी है कि जो तीखे, मारक और घातक बोल बोले जाते हैं क्या वे भड़काऊ भाषणों की श्रेणी में आते हैं? क्योंकि यहां अभिव्यक्ति की आजादी और आलोचनात्मक बयान भी एक तथ्य है, जो इस सत्य को ढकने का प्रयास है कि जहर बुझे जुबान से सम्प्रदायों में वैमनस्य व द्वेष का बीजारोपण होता है।

नूंह की हिंसा, पहाड़ी से गोलीबारी, पेट्रोल बम, आगजनी, खड़ी गाड़ियों को जबरिया पलटने की कोशिशें, छतों से व सड़कों से पत्थरबाजी, लूटपाट, पुलिस के ठिकाने पर तोड़फोड़, बड़ी संख्या में एक धर्मावलंबियों का मंदिर में बंधक बनाया जाना यही दर्शाता है कि जलाभिषेक यात्रा को निशाना बनाने की गहरी साजिश काफी पहले रची गई थी।

सवाल यह कि राज्य का खुफियातंत्र करता क्या था, जो ऐसे साजिशों को समय पूर्व बेनकाब न कर सका। कहा जाता है कि नूंह में हिंसा के दरमियान राज्य पुलिस नदारद थी। जलाभिषेक यात्रा की पूर्व सूचना के बावजूद पुलिस-प्रशासन का गायब रहना, कई संदेहों को जन्म देता है, जिसकी भी जांच बारीकी से होनी चाहिए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। 

शुक्र है कि हरियाणा सरकार चेती है और अतिक्रामक दंगाइयों के मकानों को नेस्तनाबूद कर करी है, पर सरकार को यह भी बताना चाहिए कि जब अतिक्रमण हो रहा था, तब प्रशासन कहां था और उसने तब क्यों एक्शन नहीं लिया?
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