Jitendra Sharma 29 Jul 2023 आलेख समाजिक India, जोकि भारत नहीं है।, India that is not Bharat, Jitendra Sharma 9012 0 Hindi :: हिंदी
India, जोकि भारत नहीं है। सारांश- (INDIA) हमारे देश भारत का अंग्रेजी नाम नहीं बल्कि अंग्रेजों द्वारा बनाया गया एक लूट का राजनीतिक माडल है जिसे अंग्रेज स्वतंत्रता के साथ हमारे नेताओं को सौंप गये थे जिसे हम भारत वासियों ने स्वतंत्रता के बाद भी लगभग 60 वर्ष ढोया है। आलेख- India, जोकि भारत नहीं है। लेखक- जितेंन्द शर्मा लगभग एक सहस्राब्दी या उससे भी अधिक समय से भारत सुदूर देशों के लिये आकर्षण का केन्द्र रहा है। ज्ञान-विज्ञान और धन सम्पदा मुख्य रूप से भारत की ये दो विशेषताएं विदेशियों को ज्यादा लुभाती रहीं। और इन्हें पाने के लिये ही मध्य एशिया और यूरोप से लोगों का आवागमन प्रारम्भ होकर नित नियमित उत्तरोत्तर वृद्धी करता रहा। इन आगन्तुओं ने भारत के छोटे बड़े शासकों की चिरौरी से प्रारम्भ करके अंततः आक्रमण और विध्वंस को हथियार बनाया व एक और जहां भारत को लूटा वहीं ज्ञान-विज्ञान के केन्द्रों की लूट के साथ साथ विध्वंस करके हमारी सर्वोच्च हानि की। इन विदेशियों ने दो नाम भारत को दिये, हिन्दुस्तान व India. मुस्लिम आक्रांताओं ने सर्वाधिक सांस्कृतिक व आर्थिक हानि भारत को पहुंचाई। उन्होंने धार्मिक स्थलों को नष्ट करने के साथ-साथ शिक्षा व साहित्य के केन्द्रों को भी नष्ट कर दिया। वो यहां से लूटे हुए धन के साथ- साथ विभिन्न विद्वानों के हस्तलिखित ग्रंथ भी ले गये जोकि विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र व राजनीति के साथ साथ चिकित्सा शास्त्र, खगोल विज्ञान, व ज्योतिष शास्त्र की अनुपम कृतियां थी। ये आक्रांता अज्ञानवश इनका बहुत अधिक लाभ न ले सके किन्तु मध्य एशियाई देशों से ये पुस्तकें योरोप पहुंची और बहुत तेजी से विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में योरोपीय देशों को शिखर तक ले गई। मुस्लिम आक्रांताओं ने हमारे देश को नाम दिया "हिन्दुस्तान" अर्थात वह जगह जहां हिन्दु रहते हैं। इस नाम को हमने सहर्ष स्वीकार किया क्योंकि इस नाम में यह स्वीकारोक्ति थी कि भारत हिन्दुओं का है। 1947 में पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद इस नाम को और अधिक मान्यता मिली। India नाम हमारे भारत को यूरोपियन आगन्तुओं ने दिया जिनका लक्ष भी येन-केन प्रकरेण मुस्लिम आक्रांताओं की तरह ही भारत के ज्ञान-विज्ञान के साथ-साथ यहां की धन संपदा पर हाथ साफ करना ही था। (INDIA) नाम से अंग्रेजों ने एक प्रकार का ऐसा राजनीतिक माडल तैयार किया जिससे वे भारत पर शासन करने के साथ निरंतर यहां की धन संपदा को लूटते रहे और स्वतंत्रता के समय इस माडल उसी रूप में कांग्रेस शासकों को सौंपकर अंग्रेज अपने देश वापस लौट गये। यह माडल लगभग 60 से अधिक वर्षों तक चलता रहा। विभिन्न राजनैतिक दलों ने जमकर देश को लूटा। अनेक बार जनता ने इन दलों और नेताओं के भ्रष्टाचार से अप्रसन्न होकर देश, और अनेक राज्यों की सरकारों को बदला किन्तु परिणाम सदैव वही रहे। एक प्रकार से इन राजनैतिक दलों में एक मूक समझोता था कि चुनाव के समय हम सत्तधारी दल पर कितना भी लूट व भ्रष्टाचार के आरोप लगायें किन्तु सत्ता में आने के बाद इस लूट से सम्बन्धित कोई कार्यवाही नहीं करनी है तथा इस लूट को सदैव चलायें रखना है। इस प्रकार यह मोडल निरंतर जारी रहा। किन्तु इक्कीसवीं शताब्दी में जब भारत ने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में प्रवेश किया तो कुछ आशा बंधी कि अब हमारा देश इस (INDIA) नामक लूट के माडल से छुटकारा पा लेगा। किन्तु गठबन्धन की राजनीति के चलते वाजपेई जी का प्रयास भी निष्फल रहा और उनको सत्ता से हटाकर पुनः (INDIA) नामक माडल दस वर्ष तक भारत को नोचता खसोटता रहा। सन् 2014 का सामान्य चुनाव भारत में एक नई क्रांति लेकर आया। पूर्व में अपनाई गई नीतियों और भ्रष्टाचार को त्यागकर भारत आगे बढ़ने लगा तथा (INDIA) माडल हारने लगा। भरकस प्रयास करने पर भी वह हारता ही जा रहा था। 2019 के चुनाव ने तो एक प्रकार ने (INDIA) माडल को दयनीय स्थिति तक पहुंचा दिया। जो परिवार इस देश को अपनी पैत्रिक सम्पत्ति मानते थे वो अपनी जमानत के पेपर लिये अदालतों के चक्कर काटते दिखाई देने लगे। जो वर्षों से सपरिवार देश के सार्वजनिक धन के बूते मलाई चाट रहे थे वो जेल की कोठरी में लम्बी सांसे भरकर सरकार को कोसते नजर आये। जिनके आन, मान और शान के किस्से भांड गाया करते थे वो अपनी सांसदी-विधायकी खोकर मारे मारे भटकने लगे। (INDIA) मोडल को अंतिम सांस लेते देख इन इण्डिया वादियों ने अंततः अपने पुराने सभी गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को गले लगाकर पुनः INDIA नाम से एक मुरझाये फूलों का गुलगुच्छा तैयार किया है ताकि पुन: (INDIA) से "भारत" को हटाया जा सके। किन्तु ध्यान रहे मुरझाये फूलों में न सुगन्ध होती है न तेल होता है। जय हिन्द! जय भारत महान।