Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

एक विचार- गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में

Poonam Mishra 03 Aug 2023 आलेख समाजिक तुलसीदास जी के बारे में कुछ शब्द 8377 2 5 Hindi :: हिंदी

गोस्वामी तुलसीदास


गोस्वामी तुलसीदास जी के बारे में बहुत सी बातें कहीं जाती है  जैसे कि यह भी कहा जाता है कि उन्होंने भगवान राम से मुलाकात की थी एक बार उन्होंने हनुमान जी की सहायता से राम और लक्ष्मण को शिकारी के रूप में देखा परंतु उस समय वह उन्हें पहचान नहीं पाए क्योंकि भगवान राम एक हिरण को मारकर हाथ में उसे टांगे लिए हुए कहीं जा रहे थे तुलसी जी के मन में राम की कल्पना नहीं थी इस कारण वह उन्हें पहचान नहीं पाए जब दुबारा हनुमान जी से उनकी भेंट हुई और हनुमान ने उनसे पूछा कि क्या तुमने भगवान राम के दर्शन किए तो तुलसीदास जी ने कहा कि नहीं हनुमान तब हनुमानजी ने बताया कि शिकार के रूप में जो दो राजकुमार धनुष बाण लिए मृत्यु को टांगे हुए जा रहे थे वे राम और लक्ष्मण ही थे इस पर तुलसीदास जी को बहुत ही पश्चाताप हुआ वह सोचने लगे कि मैं उस समय क्यों नहीं पहचान पाया तब उन्होंने हनुमान जी ने कहा  कि चित्रकूट के राम घाट पर आपको भगवान राम के दर्शन होंगे ऐसा ही हुआ एक दिन तुलसीदास जी नहा धोकर चंदन लगाने की तैयारी कर रहे थे उसी समय भगवान राम उनके सामने आकर उपस्थित हो गए उन्होंने तुलसीदास के द्वारा रगड़ी हुए चंदन को अपने माथे पर लगाया उसी समय एक कहावत कही गई है चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर तुलसीदास चंदन मले तिलक देत रघुवीर यह बात एक कल्पना मात्र है पता नहीं यह घटना पर आधारित है कि नहीं यह हमारे लिए एक विचारणीय विषय है परंतु यह घटना सत्य ही हुई होगी तो इसका प्रमाण क्या है यह तो मुझे नहीं पाता यदि राम ऐतिहासिक पुरुष थे और त्रेता में हुए भी थे तो फिर अपनी मृत्यु के हजारों वर्ष बाद कलयुग में में उनका प्रकट होकर तुलसी को दर्शन देना हमारे विचार से असंभव सऔर अविश्वसनी लगता है किंतु यदि इसे हम आध्यात्मिक और भावनात्मक सत्य के रूप में इस घटना पर विचार करें तो इसे नितांत कल्पना ही नहीं माना जा सकता है क्योंकि आध्यात्मिक लोगों के लिए भगवान राम या हनुमान का अन्य किसी देवता का शारीरिक व्यक्ति नहीं है देवता सूक्ष्म धारणआत्मक  विश्वास मूलक सत्य है जिन्हें ध्यान और संकल्प शक्ति द्वारा हम उनका साक्षात्कार कर सकते हैं इस प्रकार से दोनों ही विचारधाराएं एक दूसरे की विरोधी है जो किसी एक के लिए सत्य है तो किसी दूसरे के लिए एक मीठा है और जो एक के लिए मिथ्या है वह दूसरे के लिए सत्य है इस विरोध का समाधान मनोविज्ञान में एक सीमा तक दिखाई पड़ता है गोस्वामी तुलसीदास जी का समस्त काव्य इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने भक्ति के माध्यम से सिद्धि प्राप्त कर ली थी सिद्धि प्राप्त करने का आशा यह है कि उन्होंने अपने भगवान के साथ साक्षात्कार कर लिया था यह सिद्धि उन्हें एक निरंतर अभ्यास और भगवान की कठोर साधना के पश्चात प्राप्त हुई थी अतः उपयुक्त कहानी चाहे सच हो या ना हो किंतु उसकी इस व्याख्या को सत्य माना जा सकता है कि तुलसीदास जी का राम के साथ मिलन हुआ अथवा उनके अंतः में राम का अपरोक्ष ज्ञान था भक्तों के लिए भगवान राम ऐतिहासिक नाशवान व्यक्ति नहीं है तुलसी जी तो उन्हें अनादि अनंत और पर आत्मक ब्रह्मा ही मानते हैं जो ब्रह्मा विष्णु महेश से भी परे हैं वैसे भी भगवान को जो भी दिल से याद करता है भगवान उनके आसपास ही होते हैं तुलसीदास जी भगवान राम के अनन्य भक्त थे और वह उनके रोम रोम में वास करते थे और भगवान सदैव अपने भक्तों को किसी न किसी रूप में दर्शन अवश्य देते हैं और अपने भक्तों को सही गलत का मार्ग अवश्य दिखाते हैं 


 लेखिका पूनम मिश्रा

Comments & Reviews

संदीप कुमार सिंह
संदीप कुमार सिंह बहुत खूब, लाजवाब

9 months ago

LikeReply

Poonam  Mishra
Poonam Mishra Bahut achhi rachna

8 months ago

LikeReply

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

किसी भी व्यक्ति को जिंदगी में खुशहाल रहना है तो अपनी नजरिया , विचार व्यव्हार को बदलना जरुरी है ! जैसे -धर्य , नजरिया ,सहनशीलता ,ईमानदारी read more >>
Join Us: