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एक प्राकृतिक खाद्य ईसबगोल की फसल

DINESH KUMAR SARSHIHA 19 Feb 2024 आलेख अन्य #ईसबगोल#esabgol 3056 0 Hindi :: हिंदी

ईसबगोल की फसल पंजाब,मालवा और सिंध के मैदानी भाग में अधिक पाया जाता है।इसका पौधा झाड़ीनुमा धान की तरह होता है।भारत में ईसबगोल को ईश्वरबोल,इस्पगोल,एसोपगोल आदि नामों से भी जानते हैं।भारत में यह शीतकाल में बोई जाती है।इसका पौधा एक दो फुट ऊंचा होता है।धान की तरह इसके पत्ते भी बहुत लंबे होते हैं।धान की बाली की तरह ही गुच्छेदार फल होते हैं।भुसीयुक्त बीज रहते हैं,बीज से भूसी अलग निकालने पर इसकी भूसी बाजार में ईसबगोल के रूप में बिकती है।जिसको पानी में भिगोने पर पानी सोख लेता है और लुआब बन जाता है।इसका कोई स्वाद भी नहीं होता है।पानी में चीनी या मिसरी के साथ भिगोकर इसका प्रयोग करते हैं।दूध दही में मिलाकर लस्सी के रूप में भी पीते हैं।सूखे बीज या भूसी भी पानी के सहारे निगल सकते हैं।
        बीज सफेद काले और लाल रंग के होते हैं।सफेद और लाल बीज का गुण शीतल माना गया है।ईसबगोल यूनानी मत के अनुसार शीतल,शांतिदायक होता है।कब्ज को दूर कर मरोड़,आँव तथा आँतों के अंदरूनी घावों को मिटाने में उपयोगी है।श्वास,दमा,नकसीर,गठिया,खूनी बवासीर,पेशाब की जलन में भी उपयोगी है।
                                यह पौष्टिक,मूत्रक,बस्तिशोधक है।रक्तपित्त,उष्णवातनाशक,कफनाशक है।यह औषधि शुक्रमेह दूर करने वाली,शीतवीर्य होने से स्वप्नदोष को नष्ट करती है।संग्रहणी,अतिसार,कब्ज,पेट की जलन में बड़ी उपयोगी है।मलावरोध नष्ट करती है।
ईसबगोल उष्ण प्रकृति के रोगी के लिए बहुत फायदेमंद है।पित्तजनित सभी विकारों को नष्ट करने के लिए बड़ी अच्छी औषधि मानी गयी है।ईसबगोल की भूसी सर्वत्र मेडिकल स्टोर्स में उपलब्ध होती है।ईसबगोल के बीज पंसारियों की दुकानों में प्रायः उपलब्ध हो जाते हैं।यह औषधि घरेलू उपचारों में अत्यंत लाभप्रद है।केवल इसबगोल के बीजों को लेना हो तो इसे पीसना नहीं चाहिए।इससे पेट की अनावश्यक गर्मी दूर होती है।बीजों को पानी में भिगाकर या दुध तथा पानी में मिलाकर निगलना चाहिए।बीज न मिलें तो इसबगोल की भूसी का ही उपयोग कर सकते हैं।
                ईसबगोल किसी भी तरह की हानि नहीं करता है।बिना हानि पहुंचाए कब्ज़ दूर करता है।कब्ज़ के कारण अनेक प्रकार के रोग जन्म लेते हैं।आंतो में स्थित हानिकारक कृमियों के कारण पैदा विष द्रव्यों को मल के साथ बाहर निकलने में बहुत उपयोगी है।यह औषधि 12 घंटे में ही स्थित कृमिजन्य विषाक्तता को बाहर निकाल देती है।
ईसबगोल की ठंडी प्रकृति होने के कारण शरीर की किसी भी भाग की जलन को दूर करने में इसका प्रयोग किया जाता है।

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