दिव्य प्रकाश से भरा यह जीवन! दिले साज जो अब बज उठे हैं, अपने ही तबीयत से यारों। सुर-तान की जुगत तो देखो, जल गई है अंदर की ज्योति।। अथाह हिर्दय की गहराई में, बेपरवाह जो हिलोरे उठ रहे हैं। अब तो जीवन की ज्योति से, अंतःकरण प्रकाशित हो गया है।। दिले साज जो अब बज उठे हैं, अपने ही तबीयत से यारों! दिव्य प्रकाश से भरा यह जीवन! -मोती