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अपना बहुमूल्य वोट देकर सत्ता सिंहासन सौंपती है

virendra kumar dewangan 21 Jul 2023 आलेख राजनितिक Political 5974 0 Hindi :: हिंदी

2024 के आम चुनाव के लिए दो गठबंधन स्पष्ट तौर पर उभर कर देश के सामने आए हैं, जिसमें से किसी एक का चुनाव अब जनता को अपने वोटों के माध्यम से करना है और देश की बागडोर सौंपनी है। एक 26 विपक्षी दलों का गठबंधन है, तो दूसरा 38 सत्तारूढ़ दलों का गठबंधन।

	बैंगलुरु में आयोजित सम्मेलन में विपक्षी दलों के गठबंधन को इंडिया यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूशिव अलाएंस नाम दिया गया है, जो कांग्रेसनीत पूर्ववर्ती यूपीए का नया संस्करण लगता है, जिसे राजनीतिक आलोचक पुरानी बोतल में नई शराब करार दे रहे हैं। इस गठबंधन के नेताओं का दावा है कि आगामी मुंबई सम्मेलन में संयोजक सहित 11 सदस्यीय संयुक्त समन्वय समिति का गठन किया जाएगा और दिल्ली में इसका सचिवालय बनाया जाएगा।

	हालांकि ‘इंडिया’ गठबंधन में नेता का चयन और सीटों का बंटवारा अभी दूर की कौड़ी है, लेकिन उनके नेताओं का दावा है कि हम एनडीए को उखाड़ फेकेंगे। वस्तुतः इस गठबंधन का उद्देश्य ही यह है कि वोटों के बंटवारे को रोककर भाजपा नीत एनडीए को अपदस्थ करना, लेकिन जहां खींचतान है, वहां यह केैसे संभव होगा, यही दिलचस्प बात होगी।

	वहीं लेफ्ट ने बेंगलुरु बैठक के उपरांत साफ कर दिया है कि सीटों पर सहमति राज्यों के स्तर से किया जाएगा। कारण कि कई राज्य ऐसे हैं, जहां ये दल आपस में लड़ते हैं। जैसे केरल में कांग्रेस व वामदल और पं. बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस व वामदल। इसी तरह अब दिल्ली और पंजाब में भी आप और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर जंग छिड़ जाए, तो कोई दो राय नहीं।

	‘इंडिया’ में शामिल प्रमुख दल वे हैं, जो किसी-न-किसी सरकार के दौर से करप्शन केस के लिए सीबीआई व ईडी का सामना कर रहे हैं। इसमें ऐसी पार्टियां भी हैं, जो बीजेपी की नीतियों की घोर विरोधी हैं या बीजेपी से खुन्नस पाली हुई हैं-कांग्रेस, आप, डीएमके, माकपा, भाकपा, सपा, जेडीयू, आरजेडी, राकांपा-शरद पवार गुट, शिवसेना-उद्वव ठाकरे गुट, झामुमो, नेकां, पीडीपी, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल आदि।

	इन दलों का राजस्थान, छग, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, दिल्ली, तमिलनाडु, केरल, प. बंगाल, बिहार, झारखंड में शासन है, जहां वे कहीं गठबंधन के साथ हैं, तो कहीं अकेले सत्तारूढ़ हैं।

	इसके जवाब में एनडीए ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ताल ठोंकी है और देशभर के 38 छोटे-छोटे दलों को शामिल कर अपनी ताकत में इजाफा करने का प्रयास किया है। इसमें प्रमुख है-शिवसेना का शिंदे गुट, राकांपा का अजित पवार गुट, असम गण परिषद, एआईडीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी, अपना दल आदि।

बावजूद इसके बीजू जनता दल-उड़ीसा, भारत राष्ट्र समिति-तेलंगाना, वाएएसआर रेड्डी कांग्रेस-आंध्रप्रदेश, बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणी अकाली दल, तेलगु देशम पार्टी, आइ इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, जनता दल (सेक्युलर), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी एवं एआईएमआईएम किसी गठबंधन में शामिल नहीं हैं। वे तटस्थ हैं। विदित हो कि इन निरपेक्ष दलों का तीन राज्यों में शासन है।

जबकि चुनावी इतिहास से ज्ञात होता है कि जब मुल्क की सियासत दो बड़े गठबंधनों या खेमों में बंट जाती है, तब अपने दम पर चुनावी मैदान में ताल ठोंकनेवाले दलों की हैसियत घट जाती है। तटस्थ दलों के वोट शेयर में कमी हो जाती है, परिणामस्वरूप सीटों की संख्या न्यूनतम रह जाती है।

ऐसा नतीजा 1977, 1989, 2014 और 2019 के आम चुनाव में स्पष्ट तौर पर देखा गया है, जिसमें तटस्थ दलों का वोट प्रतिशत गिरा है।

गौरतलब यह भी कि ‘इंडिया’ गठबंधन पर जहां बीजेपी अध्यक्ष ने तंज कसते हुए कहा है कि इनकी न नीति है, न नीयत, न नेता और न निर्णय लेने की क्षमता। वहीं उन्होंने यह भी कहा है कि कहीं का ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा।
 
वहीं प्रधानमंत्री ने चुटकी लिया है कि यह भ्रष्टाचारियों, परिवारवादियों, जातिवादियों, अवसरवादियों का गठबंधन है। ये आसपास आ सकते हैं, मगर एक साथ नहीं।

इतना ही नहीं, कुछ लोग ‘इंडिया’ नामकरण को लेकर आपत्ति दर्ज करते हुए देश के विभिन्न थानों में एफआइआर दर्ज किए हैं। असम के सीएम हिमंता विस्वा सर्मा तो एक कदम आगे रहते हुए अपने ट्विटर एकाउंट से ‘इंडिया’ शब्द हटाकर भारत शब्द रख लिया है।

इसके पीछे उनका तर्क है कि हमारा सभ्यतागत संघर्ष इंडिया और भारत के इर्दगिर्द रहा है। अंग्रेजों ने हमारे देश का नाम इंडिया रखा था। हमें औपनिवेशिक विरासतों से मुक्त करने का प्रयास करना चाहिए।

इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया है कि असम के मुख्यमंत्री के नए गुरु श्रीमान मोदी ने पहले से जारी कार्यक्रमों में हमें स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे नाम दिए हैं।

वहीं, ‘इंडिया’ गठबंधन के सम्मेलन में आप के नेता केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा है कि धरती, आकाश और पाताल सब कुछ बेच दिया। राहुल गांधी ने भी अपने चिर-परिचित अंदाज में अपना वही पुराना राग अलापा, जो वे बरसों से अलापते रहे हैं और बीजेपी व संघ को निशाने पर लेते रहे हैं।

बहरहाल, देश मे सीमा पार व आंतरिक आतंकवाद, अलगाववाद, देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा, सड़क सुरक्षा, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, जनसंख्या विस्फोट, पर्यावरण की बिगड़ती दशा जैसी धीर-गंभीर व बड़ी समस्याएं हैं, जिसके समाधान की गारंटी जो गठबंधन देगा, वही विजयश्री का वरण करेगा।

लब्बोलुआब यही है कि देश की जनता किस गठबंधन को स्वीकार करती है और 2024 में अपना बहुमूल्य वोट देकर सत्ता सिंहासन सौंपती है; देखना शेष है।
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