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अनुपम सूक्तियां

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 आलेख अन्य सूक्तियां, जितेंन्द्र शर्मा 86429 0 Hindi :: हिंदी

लेख- अनुपम सूक्तियां।
लेखक- जितेन्द्र शर्मा।
08/05/2023

निवेदन- किसी रचना से कुछ ऐसा अमूल्य निकलता है जिसको संकलित करना कभी कभी बहुत उपयोगी होता है। साहित्यिक रचनाओं में कुछ शब्द अथवा वाक्य अत्यन्त मूल्यवान होते हैं और जो आगे चलकर समाज में मुहावरे अथवा कहावत के रूप में प्रचलित हो जाते हैं। कुछ वाक्य विस्तृत अर्थ रखते हैं अर्थात कम शब्दों में अधिक कहने की विधा को सूक्ति कहा जाता है। यहां ऐसी ही सूक्तियां या कहावत संकलित करने का प्रयास है जो पहली बार उपयोग में आई हों।

 सूक्तियां-
1- आदत अच्छी हो या बुरी मुश्किल से छूटती है।
संदर्भ- मानव की सहज प्रकृति का वर्णन।
प्रसंग- "अनौखा बैर" कहानी से।
कहानीकार- जितेन्द्र शर्मा।
प्रकाशन- Sahity.com

2- नारी का एक अलौकिक गुण है, वह जिसकी हो जाती है, बस हो ही जाती है।

संदर्भ- नारी के विशिष्ट गुण का चित्रण।
प्रसंग-"कल्लो का स्कूल" कहानी से।

कहानीकार~जितेन्द्र शर्मा
प्रकाशन संस्था~Sahity.com

3- आत्मा परम से मिलकर परमात्मा हो गई।
संदर्भ- यहां जीव के अन्तिम लक्ष्य को प्राप्त कर आवागमन से मुक्त होने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला गया है।

प्रसंग- इच्छा मृत्यु नामक कहानी से।
लेखक- जितेन्द्र शर्मा।
प्रकाशक संस्था- Sahity.com

सूक्ती-"गांव की अपनी एक अलग संस्कृति है, मित्र हों या विरोधी, विपदा वह उत्सव में साथ होते हैं।"
संदर्भ- प्रस्तुत सूक्ति में गांव समाज की विशेषताओं का वर्णन किया गया है। 
प्रसंग- महाप्रयाण नामक कहानी से।
रचना- जितेंन्द शर्मा
प्रकाशन- साहित्य लाईव।
तिथी- 18/02/2023

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