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राहुल गांधी के नाम पाती!

Jitendra Sharma 30 Mar 2023 आलेख राजनितिक जितेंन्द शर्मा की रचनाएं, रोचक कहानियां, 86653 0 Hindi :: हिंदी

 आलेख- राहुल गांधी के नाम पाती!
लेखक- जितेंन्द शर्मा
तिथी-24/03/23


प्रिय राहुल गांधी!
आपका वक्तव्य " मैं सावरकर नहीं, गांधी हूं!" सुना।
"मैं सावरकर नहीं!" आपके इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत हूं।

आप सावरकर हो ही नहीं सकते! क्योंकि सावरकर होने के लिए वीर होना पड़ता है! देशभक्त होना पड़ता है! ऐसा देश भक्त जो अपने प्राणों का देश के लिए बलिदान करने के लिए हर समय प्रस्तुत हो, तत्पर हो। सावरकर होने के लिए राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने की भावना पालनी पड़ती है। एक जीवन में दो बार उम्र कैद की सजा पाकर कैदी बनकर कोल्हू में बैल की तरह खून जलाना पड़ता है।

वैसे भी सावरकर पैदा नहीं होते, सावरकर बनना पड़ता है, जन्म से कोई वीर सावरकर नहीं होता। उसके लिए हृदय में देशभक्ति और देश के लिए सब कुछ लुटा देने की भावना पालनी पड़ती है।
आप सावरकर हो ही नहीं सकते हैं क्योंकि आपके पास एक बड़े राजनीतिक परिवार में जन्म लेने के अलावा ऐसा है ही क्या कि आपकी तुलना वीर सावरकर से की जाय।

आप कहते हैं कि "आप गांधी हैं!" आपके इस कथन को कोई सामान्य बुद्धि रखने वाला व्यक्ति भी कैसे सहर्ष स्वीकार करें? गांधी होने के लिये जो सत्यनिष्ठा, धर्मपरायणता, दया, सरलता, प्रेम, राष्ट्रभक्ति, समर्पण और त्याग चाहिये वह आपमें कहां है? उसके लिये सत्य में तपस्वी होना पड़ता है, तपस्या करनी पड़ती है। गांधी सरनेम रखने से कोई गांधी नहीं हो जाता। न स्वयं को तपस्वी कहने से तपस्वी हो जाता।
आपकी जो प्रतिष्ठा वह सम्मान है वह मात्र एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार में जन्म लेने के कारण हैं। एक पल के लिए चिंतन करिएगा कि आप के जीवन की उपलब्धि क्या है? आपने अपने देश को दिया क्या है? देश की बात छोड़िए, जिस परिवार में आपने जन्म लिया उस परिवार को क्या दिया है? जिस पार्टी ने आपको अपना सर्वस्व अर्पण किया। आपको पार्टी का सर्वोच्च पद दिया, सर्वोच्च सम्मान दिया, उस पार्टी को आपने क्या दिया? लाखों कार्यकर्ता जो आपमें अपना और देश का सुखद भविष्य देखते है, आपने उन कार्यकर्ताओं को ही क्या दिया? देशवासियों  ने आपको एक बड़े राजनीतिक कुल में जन्म लेने के कारण जो सम्मान दिया, जो प्रतिष्ठा दी, आपने उसके बदले में उन्हें क्या दिया?

आपके पास बताने के लिए यदि कुछ उपलब्धियां हैं तो वह आपके पूर्वजों की है, आपकी नहीं। आपकी पार्टी ने और परिवार ने भी आपके कारण बस खोया ही खोया है।

यद्यपि मेरा आपसे आग्रह नहीं है फिर भी यदि आप चाहें तो एक बार बस राहुल बनकर चिंतन करिए कि आप क्या हैं? क्यों हैं? और कैसे हैं? तब आपको उत्तर मिलेगा कि आप सावरकर नहीं है और हो भी नहीं सकते। आप गांधी भी नहीं है और आपसे गांधी बनने की आशा भी नहीं है। 
आप बस राहुल हैं मात्र राहुल। हारा हुआ राहुल, निराश राहुल, भीरू राहुल। जीवन की जंग से पलायन करने वाला राहुल।

मेरे ये कुछ कटु वचन आपके एक देशभक्त के प्रति बार बार अपमान जनक वक्तव्य देने के कारण हैं। यद्यपि मैं आज भी चाहता हूं कि आप केवल राहुल के रूप में ही  एक सशक्त व दायित्वपूर्ण नेता बनकर राष्ट्र की सर्वोत्तम सेवा करें। आप चाहें तो राहुल बनकर भी ऐसा कर सकते हैं, इसके लिये न सावरकर बनने की आवश्यकता है न गांधी बनने की।
शुभकामनाओं सहित।
जय हिन्द।

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