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वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन जब टीवी घर आया, तो लोग किताबें पढ़ना भूल गए । जब कार दरवाजे पर आई, तो चलना भूल गए । हाथ में मोबाइल आते ही चिट् read more >>
"पापा" भगवान तो नहीं पर इस धरती पे भगवान का रूप हैं पापा अंतर्यामी तो नहीं पर अंतर्मन का सब पढ़ लेते हैं पापा पैसों का खजाना तो नहीं read more >>
"सुबह की मीठी नींद" इस नींद के चक्कर में किसी का पानी भरना रह गया तो किसी को स्कूल के लिए लेट हो गया किसी की बस छूट गईं तो किसी की दफ्तर read more >>
"रीत जगत की" क्यों रीत जगत ने ऐसी बनाई खुद के ही घर से कर दी पराई अपनो से हो गई दूरी जीवन की ये कैसी मजबूरी बचपन का आंगन छुटा आंखो से जै read more >>
"मोबाईल" फ्री होके भी सबको व्यस्त कर दे वो हैं मोबाईल कुछ ना आते हुवे भी सब सिखा दे वो हैं मोबाईल अपनो से दुर होके भी पास का एहसास दे वो read more >>
मांगते थे खुशी पर केवल मिलता रहा गम , होकर निडर चले पड़े गम से लड़ने के लिए हम । read more >>
गुजरती जिन्दगी के सारे लम्हे खूबसूरत ना हो सके तो क्या हुआ... कुछ यादगार लम्हों को ही जिन्दगी की सफलता समझो... -दिनेश कुमार कीर read more >>
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