Rupesh Singh Lostom 18 Aug 2023 शायरी प्यार-महोब्बत वरपेगी 12128 0 Hindi :: हिंदी
वो रुत बन के आई रुत सी ही चली गई न फुहार बन बरसी बिन गरजे चली गई मैं सोचता ही रहा वो सैलाव बन के वरपेगी और मुझे अपने साथ अपने आगोश में समेट ले जाएगी हमेशा के लिए मुझे लगा वो किसी के इश्क में हैं पता नहीं क्यों वो रिस्क में हैं मैं आशिक हूँ समझता हूँ हाले दिल पर वो समझती नहीं वेदर्द संगदिल