Rupesh Singh Lostom 28 Apr 2023 शायरी अन्य मेरे बातों में 7216 0 Hindi :: हिंदी
जिस्म खामोश मगर मन बोलता हैं रूह चुप चुप फिर भी कुछ राज़ खोलता हैं! जान बे जान मगर तू पुकारता हैं तन बदल गया रात सा ढल गया आग में जल गया हवाओं में बिखर गया मिटटी में घुल गया राख़ बन उड़ गया फिर भी तू बोलता हैं ! तू छलता हैं मुझे खामोशियों में भी ख़ामोशी से कुछ कहता हैं मुझे ! मैं कैसे मान लू की तुम अब नहीं रहे तुम हो तो मेरे सासों में यादों ने जज्बातों में और तो और मेरे बातों में