Rupesh Singh Lostom 28 Apr 2023 शायरी अन्य बिंदास उड़ता हैं 5440 0 Hindi :: हिंदी
बिंदास उड़ता हैं तू हवाओं में बिना पंख बिंदास उड़ता हैं क्या चाहिए जो इतना बे फ़िक्र आशमान को छूता हैं मैं नहीं जनता क्या चाहिए जो तू ऐसे खुद को आज माता हैं चाँद तारे या फिर कुछ और क्यों तू अपने आप को इतना सत्ता हैं फकीरों सा ये जिंदगी किस काम की दर ब दर भटकता रात दिन न कोई दर न दिवार न ही कोई घर बार तेरा क्यों तू अपने आप को इतना आखिर हमेशा रुलाता हैं