मैदान ए शायरी का एक प्यादा हूँ मैं,
. इस महदूद सल्तनत का वजीर नहीं हूँ
ग़ज़ल के नाम पे बस हाल ए दिल बयां करूँ,
. मैं बद्र , गालिब , या मीर नहीं ह read more >>
उन्हें उनके ख्वाब में रहने दों...!
मुझे मेरी हकीकत पसंद है...!!
उन्हें उनके श्रृंगार में रहने दों..!
मुझे मेरी सादगी पसंद है...!!
उन्हें उन read more >>