Beauty yadav 06 Feb 2024 कविताएँ समाजिक किसी पर भी भरोसा ना करना , अपने बल पर जीना , रिश्तो की सच्चाई 22471 0 Hindi :: हिंदी
ना रख उम्मीद तू किसी से, ना कष्ट होगा कभी तुझे, एक पिता बनाकर ना रख उम्मीद तू पुत्र से कभी, दूर जायेगा जब तुझसे गम ना होगा तुझे । एक पति बनकर ना रख उम्मीद तू पत्नी से, उसकी मनमानियां पर कष्ट ना होगा तुझे । एक मां बनकर ना रख उम्मीद तू अपनी संतान से, तुझे भूल कर जब बो अपने परिवार में रम जाएगी, तब तू कैसे अपने मन को समझाएगी । ना रख उम्मीद तू किसी भी रिश्ते से, जिसके लिए जो करना है कर दे बिना किसी उम्मीद के, गर करेगा जो किसी से तू उम्मीद, जी ना पाएगा तू बिना गम के । खुद के बल पर जी अगर जीना है चैन से तुझे, बेगैरत तो यह शरीर भी है, क्या पता कम मांग ले खुदा तुझसे।