Ranjana sharma 31 Oct 2023 कविताएँ दुःखद तेरे बिना#Google# 3303 0 Hindi :: हिंदी
तेरे बिना जी ना सकी मर कर भी मर ना सकी भटकती हूं मैं अब देखो दर - दर कहीं कैसे कहूं क्या मैं कहूं बिन कहे भी चुप ना रहूं सोचती हूं कि आज कह ही दूं पर कुछ कह भी ना सकूं हालत मेरी तू जानता ही नहीं मुझे तू पहचानता ही नहीं मेरा प्यार किस हद तक था इसका अंदाजा कभी तू लगा सकता नहीं वादा करके मुकर गया तू बीच राह में छोड़कर चला गया तू अब जो आओगे लौटकर देख ना सकोगे मुझको कहीं तरस जाओगे मुझे पाने के लिए मेरी एक दीदार करने के लिए आंखों से ओझल हो जाऊंगी ऐसे जैसे पानी में बनी तस्वीर खो जाती है कहीं अब तू किसी और की अमानत है तुझे पाने की ना चाहत है भुला देगें हम भी अब तुझको पलट कर ना देखेगें कभी तुझको और कभी दिख जाओगे तो अजनबी बन जाऊंगी उस राह में कहीं धन्यवाद