Prince 08 Jun 2023 कविताएँ समाजिक #Google , #हिन्दी साहित्य , #समाजिक कविता 6821 0 Hindi :: हिंदी
हमें छिन्न-भिन्न कर रही है शिक्षा की प्रणाली, विचारों की स्वतंत्रता अब नष्ट हुई विस्तारी। बच्चों को बोंधित कर रहा है यह सिलेबस, विद्या के आधार पर हो रहा है अनुचित न्याय। व्यापार की बाजारी बनी है शिक्षा का रास्ता, ज्ञान की जगह बना है मुद्दों का खेल-कुदा। गुणों के बजाय मैंगनी ली जाती है अंकों की, तोल-मोल के लिए खो गया है सृजनात्मक अनुभव। रटने के बजाय हो रही है मैमोराइजेशन, विचारशक्ति की ज्योति को है आँधी से हटाया। सिर्फ विद्या के लिए नहीं होना चाहिए दबाव, रचनात्मकता को है बन्दिशों से आजाद कराना। हो जाए नवीन शिक्षा प्रणाली का जन्म, जहां हो स्वतंत्रता का मंदिर, विचारों का विस्तार। छात्र हों निर्माता, न केवल भोगी नियमों के, ज्ञान के संसार में खेलें स्वतंत्रता के खेल। बाँधों को तोड़ें, नई ऊँचाईयों को छू जाएं, आजाद विचारों की हवा में आत्मा सुरमय नाचे। स्वतंत्र शिक्षा प्रणाली की ध्वनि, जगाएं यह लोग ज्ञान के प्रदीप को जलाएं, भ्रष्टाचार के आग। जबरदस्ती न पढ़ाएं, स्वयं को मुक्ति दें शिक्षक, छात्र के रचनात्मक बढ़ाएं, बांधनों को तोड़ें पाठक। पढ़ाई की जगह नहीं होनी चाहिए मनोरंजन की, ज्ञान के उजाले में बढ़ें छात्र, न हों मोहभंगी। सोचने की आदत दें शिक्षा, अन्धविश्वास को छोड़ें, विज्ञान की पराकाष्ठा में ना रहें अंधभक्ति में टिके। समृद्धि के लिए समर्पण, न केवल मतलब की भूख, नैतिक मूल्यों के साथ बढ़ें, न हों बहके सौभाग्य की रूख। हो जाए शिक्षा की वैज्ञानिक अभिव्यक्ति, ज्ञान के प्रणयन में रस बहे, न हों अंधविश्वास की व्यक्ति। बच्चों के मन को जगाएं, विज्ञान के संगीत से, दिमाग के दामन से हटाएं, मुग़लताओं की सौगात से। व्यापारिक सोच की जगह बनाएं, नवीनता और विचार, हो जाए शिक्षा सुनहरी, न हों व्यापार के वशीभूत कर विचार को समर्पित करें, न विचार के बाजार में खरीदी, अपार ज्ञान की गहराई में भटकें, न हों अविचारी गुमराही। नवयुवकों के मन को जगाएं, ज्ञान के स्वर से, उच्चतम विचारों को बढ़ाएं, न हों मंदगति के गुलाम। सिस्टम को बदलें, सोच को जगाएं, शिक्षा की प्राथमिकता बनाएं, ज्ञान के प्रकाश से राष्ट्र को जगाएं, न हों निरर्थक मोहमय भाषा। हो जाए शिक्षा की महान साथी, आधुनिकता के संग, ज्ञान के सूर्य को उगलें, अविश्वास के अँधेरे संग। आओ फिर से सुनिश्चित करें, शिक्षा की गरिमा को, ज्ञान के समृद्ध सम्राट बनें, न हों निरर्थक बहिष्कार को। युवा शक्ति से भरी हो शिक्षा, ज्ञान का संकल्प रखें, अहंकार को छोड़े, सच्ची प्रगति के पथ पर चलें। विचारों को उन्नत करें, ज्ञान के वन्दन करें, व्यापार की बाजारी से हो जाएं मुक्त, शिक्षा के बंधन करें। हो जाए शिक्षा की विजय का नवोदय, ज्ञान की उच्चतम ऊँचाई पर आजादी का संगीत गाएं| दोस्तो ! कविता अच्छी लगे तो शेयर , फॉलो और कमेंट जरुर करें एक कविता लिखने मे बहुत मेहनत लगती हैं । आपका बहुत आभार होगा । लेखक : प्रिंस ✒️📗
I am a curious person. Focus on improving yourself not 'proving' yourself. I keenly love to write st...