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सुबह की पहली किरण को देख कर-खिड़की खोलते ही सूरज की अनगिनत किरणें समा जाता है

Poonam Mishra 02 Aug 2023 कविताएँ समाजिक कुछ संदेश देता सवेरा 8863 2 5 Hindi :: हिंदी

सुबह की पहली किरण को देख कर मैंने 
अपने कमरे की खिड़की खोली!
 खिड़की खोलते ही मेरे कमरे में
 समा जाता है सूरज की अनगिनत किरणें!
 कुछ उड़ती हुई तितलियां मेरे
 कमरे में आ जाती हैं ।
कुछ आशाएं !भी उनके साथ मेरे
 कमरे में आ जाती हैं ।
जैसे वह मेरे खिड़की खुलने
 का इंतजार कर रही थी 
मैंने ही उन्हें अंदर आने में देर 
कर दी !
कुछ हवा भी मुझे छूकर मेरे घर
 के अंदर चली आई !
शायद वह मुझे जीने का एहसास
 करा गई !
कुछ पेड़ों से गिरे पत्ते भी मेरे 
घर के आंगन में आ गए।
 शायद वह गिरकर उठने का
 संदेश मुझे बता गए।
 कुछ पेड़ों के डालियों पर चहचहाती  चिड़िया !
मेरे कानों में कुछ कह गई ,
कुछ भूली बिसरी यादें ।
मुझे खिड़की के बाहर याद आने
 लगी ना उम्मीद  के इस आलम में
 कुछ उम्मीदें मुझे दिखा गई !
उगते सूरज ने मुझे फिर से उठने का हौसला दिया !
निरंतर संघर्षों से थककर मै जो घबरा गई !
सूर्य की पहली किरण ने 
मुझे रास्ते कई दिखा गए!


स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा

Comments & Reviews

Poonam  Mishra
Poonam Mishra अति उत्तम👌👌👌👌

9 months ago

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Poonam  Mishra
Poonam Mishra Bahut sunder

9 months ago

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