विक्की आरती मोकर्री 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत विक्की आरती मोकर्री 11351 0 Hindi :: हिंदी
सोंच के देखना तेरी सोंच में हू मैं छू के देख खूद को तेरे शरीर में हूं मै चिंता न कर तूझसे कितने दूर हूं मैं यहां जाओ,वहां जाओ तेरा जी चाहे जहां जाओ तू जहां भी है ,मेरा प्राण वहीं है मेहसूस करना मेरा आत्मा ,तेरे पास खड़ी है घूम के अकेले कहीं से लौट आना घर के अंधेरे में एक दिप जलाना दिपक के लौ पूकार के कहेगी तेरे कितने समीप हूं मै सुबह के धूप पर अंगरना मेरे नाम से एक बार फिर संवरना। दर्पण में देखना तेरे चेहरे में मेरा प्रतिबिंबि होगा मै तूमसे कितना दूर हूं ,ये एक दृश्य मात्र है अपने अंतर्मन में साध मेरे गीतो को तेरे मुख से निकले हर स्वर कहेगी कितने पास हूं मै