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पता नहीं कब कोर्ट का निर्णय आएगा

Saurabh Sonkar 03 Apr 2023 कविताएँ समाजिक पता नहीं कब पता नहीं कब कोर्ट का निर्णय आएगा , पता नहीं कब टेट की मार्कशीट जारी होगी, पता नहीं कब शिक्षक की भर्ती आयेगी, पता नहीं कब अपनी बेरोजगारी जायेगी , पता नहीं कब ये सिस्टम सुधर पायेगा , पता नहीं कब सरकार नींद से जागेगी , पता नहीं कब अपना भी दिन आएगा , पत नहीं कब अपनी खुशियां आयेगी , पता नहीं कब बेरोजगारों का दर्द समझ में आयेगा, पता नहीं कब बेचारों का आंसू पोंछा जायेगा, पता नहीं कब बीएड -बीटीसी मसला हल होगा, पता नहीं कब बाप का नाम रोशन कर पाऊंगा, पता नहीं कब अपने पेरों पे खड़ा हो पाऊंगा, पता नहीं कब अपने कौशल को दिखलाऊंगा, पता नहीं कब मैं पिता का हाथ बटाऊंगा, पता नहीं कब समाज में खुद का सर उठाऊंगा, पता नहीं कब अवसादों से छुटकारा मैं पाऊंगा, पता नहीं कब अपनो के चेहरो पर रौनक ला पाऊंगा, पता नहीं कब रातों की नींद चैन से मैं सो पाऊंगा , पता नहीं कब अपनी माँ को वो सुकूं मैं दे पाऊंगा , पता नहीं कब अपनी कहानी मैं लिख पाऊंगा , पता नहीं कब पावलाव के कुत्ते से छुटकारा पाऊंगा, पता नहीं कब मैं भी रुपिया कमाऊंगा , पता नहीं कब बेगारी का दाग मिटा मैं पाऊंगा , पता नहीं कब अपने गांव में मैं रह पाऊंगा , पता नहीं कब शहरों के चकाचौंध से छुटकारा पाऊंगा, पता नहीं कब खुली सांस में मैं जीवन जी पाऊंगा, पता नहीं कब प्यारी दादी के साथ बिताऊंगा , पता नहीं कब मैं पुत्र का फर्ज निभाऊंगा , पता नहीं कब बूढ़ी दादी की सेवा मैं कर पाऊंगा , पता नहीं कब अपनी जिम्मेदारी को निभाऊंगा , पता नहीं कब अपना सपना पूरा कर पाऊंगा , पता नहीं कब मैं भी कब गिज्जू भाई बन पाऊंगा , पता नहीं कब नन्हे भतीजों को खिलौना दे पाऊंगा, पता नहीं कब रुसो के बालकेंदित सिद्धांत अपनाऊंगा, पता नहीं कब रिस्तों के उम्मीदों को पूरा कर पाऊंगा , पता नहीं कब बच्चों को क ख ग घ पढ़ाऊंगा , पता नहीं कब बच्चों को गणित के सूत्र बताऊंगा, पता नहीं कब मैं सुकरात की विधि अपनाऊंगा, पता नहीं कब बच्चों को प्रकृति दर्शन समझाऊंगा, पता नहीं कब मैं खुद ही सफलता पाऊंगा, पता नहीं कब मैं खुदका वर्तमान जी पाउंगा, पता नहीं कब किस्मत को मैं जवाब दे पाउंगा, पता नहीं कब मेहनत को मैं सम्मान दिलाउंगा, पता नहीं कब मैं अपनी कविता छपवाऊंगा, पता नहीं कब मैं अपनी किताब छपवाऊंगा, पता नहीं कब अपनी रचनाओं को गाऊंगा, पता नहीं कब ताली की ध्वनि सुन पाऊंगा, पता नहीं कब बंद कमरे के जीवन से छुटकारा पाऊंगा, पता नहीं कब खुले आंसमान में मैं जीवन जी पाऊंगा, पता नहीं कब अपनी तैयारी को पूरा कर पाऊंगा, पता नहीं कब अपनी मेहनत से उपलब्धि पाऊंगा, पता नहीं कब देश निर्माण में योगदान दे पाऊंगा, पता नही कब अपनी प्रतिभा दिख लाऊंगा, पता नहीं कब अपनी परनिर्भता जायेगी, पता नहीं कब मैं भी आत्मनिर्भर हो पाऊंगा, पता नहीं कब भावनात्मक विकास कर पाऊंगा, पता नहीं कब कुछ अच्छा काम कर पाऊंगा, पता नहीं कब मैं यारों से फुरसत में बतलाऊंगा, पता नहीं कब उम्मीदों पे मैं खरा उतर पाऊंगा, पता नहीं कब रिस्तों को मैं समय दे पाऊंगा, पता नहीं कब अपनो के दिल में जगह बनाऊंगा, पता नहीं कब परिवार के साथ बैठ के रोटी खाऊंगा, पता नहीं कब मैं भी कुछ भी कर पाऊंगा, पता नहीं कब बेगारी के श्राप से मुक्ती पाऊंगा, पता नहीं कब जीवन में मैं सौरभ ला पाऊंगा, पता नहीं कब कोई खुदका स्थान बनाऊंगा, पता नहीं कब जीवन को मैं स्वर्ग बनाऊंगा, पता नहीं कब ... 13061 0 Hindi :: हिंदी

पता नहीं कब

पता नहीं कब कोर्ट का निर्णय आएगा ,
पता नहीं कब टेट की मार्कशीट जारी होगी,
पता नहीं कब शिक्षक की भर्ती आयेगी,
पता नहीं कब अपनी बेरोजगारी जायेगी ,

पता नहीं कब ये सिस्टम सुधर पायेगा ,
पता नहीं कब सरकार नींद से जागेगी ,
पता नहीं कब अपना भी दिन आएगा ,
पत नहीं कब अपनी खुशियां आयेगी ,

पता नहीं कब बेरोजगारों का दर्द समझ में आयेगा,
पता नहीं कब बेचारों का आंसू पोंछा जायेगा,
पता नहीं कब बीएड -बीटीसी मसला हल होगा,
पता नहीं कब बाप का नाम रोशन कर पाऊंगा,

पता नहीं कब अपने पेरों पे खड़ा हो पाऊंगा,
पता नहीं कब अपने कौशल को दिखलाऊंगा,
पता नहीं कब मैं पिता का हाथ बटाऊंगा,
पता नहीं कब समाज में खुद का सर उठाऊंगा,

पता नहीं कब अवसादों से छुटकारा मैं पाऊंगा,
पता नहीं कब अपनो के चेहरो पर रौनक ला पाऊंगा,
पता नहीं कब रातों की नींद चैन से मैं सो पाऊंगा ,
पता नहीं कब अपनी माँ को वो सुकूं मैं दे पाऊंगा ,

पता नहीं कब अपनी कहानी मैं लिख पाऊंगा ,
पता नहीं कब पावलाव के कुत्ते से छुटकारा पाऊंगा,
पता नहीं कब मैं भी रुपिया कमाऊंगा ,
पता नहीं कब बेगारी का दाग मिटा मैं पाऊंगा ,

पता नहीं कब अपने गांव में मैं रह पाऊंगा ,
पता नहीं कब शहरों के चकाचौंध से छुटकारा पाऊंगा,
पता नहीं कब खुली सांस में मैं जीवन जी पाऊंगा,
पता नहीं कब प्यारी दादी के साथ बिताऊंगा ,

पता नहीं कब मैं पुत्र का फर्ज निभाऊंगा ,
पता नहीं कब बूढ़ी दादी की सेवा मैं कर पाऊंगा ,
पता नहीं कब अपनी जिम्मेदारी को निभाऊंगा ,
पता नहीं कब अपना सपना पूरा कर पाऊंगा ,

पता नहीं कब मैं भी कब गिज्जू भाई बन पाऊंगा ,
पता नहीं कब नन्हे भतीजों को खिलौना दे पाऊंगा,
पता नहीं कब रुसो के बालकेंदित सिद्धांत अपनाऊंगा,
पता नहीं कब रिस्तों के उम्मीदों को पूरा कर पाऊंगा ,

पता नहीं कब बच्चों को क ख ग घ पढ़ाऊंगा ,
पता नहीं कब बच्चों को गणित के सूत्र बताऊंगा,
पता नहीं कब मैं सुकरात की विधि अपनाऊंगा,
पता नहीं कब बच्चों को प्रकृति दर्शन समझाऊंगा,

पता नहीं कब मैं खुद ही सफलता पाऊंगा,
पता नहीं कब मैं खुदका वर्तमान जी पाउंगा,
पता नहीं कब किस्मत को मैं जवाब दे पाउंगा,
पता नहीं कब मेहनत को मैं सम्मान दिलाउंगा,

पता नहीं कब मैं अपनी कविता छपवाऊंगा,
पता नहीं कब मैं अपनी किताब छपवाऊंगा,
पता नहीं कब अपनी रचनाओं को गाऊंगा,
पता नहीं कब ताली की ध्वनि सुन पाऊंगा,

पता नहीं कब बंद कमरे के जीवन से छुटकारा पाऊंगा,
पता नहीं कब खुले आंसमान में मैं जीवन जी पाऊंगा,
पता नहीं कब अपनी तैयारी को पूरा कर पाऊंगा,
पता नहीं कब अपनी मेहनत से उपलब्धि पाऊंगा,

पता नहीं कब देश निर्माण में योगदान दे पाऊंगा,
पता नही कब अपनी प्रतिभा दिख लाऊंगा,
पता नहीं कब अपनी परनिर्भता जायेगी,
पता नहीं कब मैं भी आत्मनिर्भर हो पाऊंगा,

पता नहीं कब भावनात्मक विकास कर पाऊंगा,
पता नहीं कब कुछ अच्छा काम कर पाऊंगा,
पता नहीं कब मैं यारों से फुरसत में बतलाऊंगा,
पता नहीं कब उम्मीदों पे मैं खरा उतर पाऊंगा,

पता नहीं कब रिस्तों को मैं समय दे पाऊंगा,
पता नहीं कब अपनो के दिल में जगह बनाऊंगा,
पता नहीं कब परिवार के साथ बैठ के रोटी खाऊंगा,
पता नहीं कब मैं भी कुछ भी कर पाऊंगा,

पता नहीं कब बेगारी के श्राप से मुक्ती पाऊंगा,
पता नहीं कब जीवन में मैं सौरभ ला पाऊंगा,
पता नहीं कब कोई खुदका स्थान बनाऊंगा,
पता नहीं कब जीवन को मैं स्वर्ग बनाऊंगा,

पता नहीं कब ....

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