Ujjwal Kumar 23 Jun 2023 कविताएँ समाजिक उसके आगे कदम बढ़ाने में। 8524 0 Hindi :: हिंदी
नारी के पंखों को काटा सदा ही इस जमाने ने, लाख प्रश्न उठा दिए उसके आगे कदम बढ़ाने में, आवाज दबा दी जाती थी जब भी नारी ने मुंह खोला था, अपने अधिकारों की खातिर जब जब उसने कुछ बोला था, शिक्षा से रखा वंचित उसको इन धर्म के ठेकेदारों ने, सदा सुरक्षित रखा इनको बंद कर चार दीवारों में, घर के काम-काज करते कहकर उनको जिम्मेदारी, कच्ची उम्र में ब्याह दी जाती कहकर बेटी बड़ी हो गई हमारी, नारी के सपनो को कुचला सदा ही इस जमाने ने, लाख प्रश्न उठा दिए उसके आगे कदम बढ़ाने में। ✍️युवा रचनाकार ✍उज्जवल कुमार