Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मेरा बचपन लोटा दो

रघुवीर सिंह पंवार 03 Jun 2024 कविताएँ बाल-साहित्य बच्चो के ऊपर बोझ 17473 0 Hindi :: हिंदी

बात बड़ी छोटे मुह लेकिन ,जब के लोग विचारों।

मुझ पर लदी किताबें अब मेरा बोझ  उतारो।

 झरनों को तो जंगल में झरने की आजादी।

पर मुझे नहीं मस्ती में रहने की आजादी। 

बिन समझे बिन बुझे ही केवल लीखते  ही रहना |

 क्या घर में क्या बाहर केवल रटते ही रहना ?

 खेलकूद में जी भर कर समय कभी ना पाऊं |
गुलदस्ते में कलियों सा घरमें ही मुरझाऊ |

 फूलों को तो फूलों  जैसी खिलने की  आजादी  |

भंवरी को भी भिनभिनाने  की है ,देखो आजादी |

फूल फूल के रस को है, पीने की आजादी |

 पंछी को भी पंछी जैसे उड़ने की आजादी |

 पर मुझ बच्चे को अब बच्चे सा ही रहने दो |

मुझको तो अब अपने ही बचपन में मिलने दो |

इस दुनिया में अब अपनी ही भाषा पढ़ने दो |

मुझको भी तो फूलों जैसा अब तो खिलने दो |

 बात बड़ी  छोटे मुंह लेकिन जब के लोग विचारों |

 मुझ पर लदी किताबें अब तो मेरा बोझ उतारो |
(रघुवीर सिंह पंवार )

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: