Rambriksh Bahadurpuri 23 May 2023 कविताएँ समाजिक #rambriksh Bahadurpuri #rambriksh Bahadurpuri Kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #ambedkar Nagar kavi #ambedkar Nagar poetry #maa per kavita 8763 0 Hindi :: हिंदी
मां छोड़ गयी क्यों? मां छोड़ गयी क्यों आज मुझे हो गया हूं तेरे बिन अनाथ अब कौन मुझे समझाएगा किसका पकड़ चलूं मैं हाथ। ना भूल सका मैं आज तलक जो राह दिखाया करती थी जब भटका करता इधर उधर तो राह बताया करती थी। मां मां कहकर चिल्लाता हूं सुनने कोई ना आता है रो रो कर आंसू सूख गए मन तड़प तड़प रह जाता है। जब सोंच सोंच कर कभी कभी आंखों में आसूं आता है ना हाथ किसी का है सिर पे मन रोकर चुप हो जाता है। सब सपने अपने बिखर गए ममता की मोती टूट गई जबसे तुम मुझसे दूर गयी दुनिया ही मानो रूठ गई। तू तोड़ गयी कैसे नाता ना देख तुझे मैं अब पाता तू छोड़ गयी कैसे मुझको ना ख्याल जरा भी है आता। सपनों में भी क्यों आती ना सिर पर रख हाथ घुमाती ना बस इतना सा ही नाता क्या क्यों एक झलक दिख जाती ना। है मृत्यु अटल यह हमें पता हर आने वाला जाएगा पर नही पता मेरे सर से साया तेरा उठ जाएगा। खलता है तेरा जाना मां लगती दुनिया वीरान मुझे तनहा तनहा मैं खड़ा यहां लगती दुनिया शमशान मुझे। अब लगता घर खाली खाली मां भूल तुझे ना पाता हूं, किस मां से अब बतलाऊं मैं बिन तेरे ना रह पाता हूं। रचनाकार - रामबृक्ष बहादुरपुरी अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 9721244478
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...