Ujjwal Kumar 13 Jun 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग Target 8147 2 5 Hindi :: हिंदी
चलते रहो बढ़ते रहो जिंदगी है भागते रहो रेंगते रहो जिंदगी है थकना मत रुकना मत जिंदगी है झुकना मत टूटना मत जिंदगी है ये राह तो मुश्किल हो सकती है पर पुरा कैसे नही होगी हम जिंदगी के मुसाफिर है चलना आता है बढ़ना आता है पर थकना ओर रुकना नही आता है भागना आता है रेंगना भी आता है पर झुकना ओर टूटना नही आता है ✍उज्ज्वल कुमार