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कुछ पल बचपन के

Suraj pandit 30 May 2024 कविताएँ बाल-साहित्य Childhood 15137 0 Hindi :: हिंदी

बचपन की वो सुनहरी यादें,
मिट्टी में खेलना, बिन चिंता के साधें।

वो कागज की नावें, बारिश का पानी,
हर दिन की मस्ती, हर रात की कहानी।

माँ की गोदी में सुनते थे लोरियां,
बाबा की बातों में छुपी थी ढेर सारी कहानियाँ।

आँगन में दौड़ना, पेड़ों पर चढ़ना,
दोस्तों संग हंसना, खुलकर जीना।

स्कूल का बस्ता, किताबों का भार,
लेकिन फिर भी लगता था सब कुछ गुलज़ार।

वो चॉकलेट की लालच, टॉफी की मिठास,
बचपन की यादें, सच में होती हैं खास।

ना कोई चिंता, ना कोई फिक्र,
बस खेल-कूद और हँसी का सवेरा।

बचपन के दिन, वो प्यारे पल,
याद आते हैं, तो दिल भर आता है कल।
.                        -------- सूरज पंडित

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