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जादू सच नही होता

Rambriksh Bahadurpuri 16 May 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Rambriksh Bahadurpuri kavita #ambedkar Nagar kavi #ambedkar Nagar poetry #note per kavita 5951 0 Hindi :: हिंदी

कविता -कागज और नोट 

बचपन में पढ़ने का
या अच्छा कुछ करने का
मन कहां?
और कब?
होता है। 

पर मां समझाती थी
एक ही बात बताती थी
पढने से
कुछ करने से
पैसा आता है
सहूलियत आती है
और ज़िंदगी सुधर जाती है। 

चड़ पड़ा
बस्ता लिए
स्कूल को,
अचानक ठहर गया
देखकर
मदारी का खेल
जहां हो रहा था
ठेलमठेल
रेलमपेल। 

मदारी कागज से
बनाया कड़ी कड़ी नोट
मेरे मन में आया सोंच
क्या फायदा
पढ़ने से,
मैं भी सीख लूं
कागज से बनाना नोट। 

फिर अचानक
देखा मदारी को
मांगते हुए पैसा
मैने सोंचा!
ये कैसे
हो सकता है ऐसा,
जो कागज से
बनाता पैसा
करता है
चमत्कार,
वह पैसे के लिए
इतना क्यूं है
लाचार। 
वह मेरे पास भी आया
मैंने उसको
बड़े मासूमियत से
समझाया,
हे भाई!
ए लो मेरी कापी
ए तेरे लिए होगा काफी
इससे बनाना नोट
तेरे सब मिटेंगे
गरीबी
मजबूरी
और दिल के सारे चोट। 

वह चौंका
घूरते हुए मुझ पर
भौंका
अरे!
आदमी हो!
यह जादू है,
सच्चाई थोड़ी है। 

मैं समझ चुका था
जादू सच नही होता
सच सच होता है। 
फिर भी
सोंच कर देखो 
कोई जादूगर -
कागज को नोट बनाता है
और नोटबंदी-
नोट को कागज बनाता है। 

          रचनाकार
    रामवृक्ष बहादुरपुरी 
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश

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