कवि सुनील नायक 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Nasha Mukti per Rajasthani Kavita 8097 0 Hindi :: हिंदी
खीरा केवै क म्हारो काम तो रोटी सेकणौ है, पण म्हनै फेफङा किंयू सेकणा पङै, मै सांवरै सू विणती करू क म्हारो काम तो रोटी सेकणौ है, पण म्हनै फेफङा किंयू सेकणा पङै। मे अेक ही लकङी सूं निपजिया, म्हारा साथी रोटीयां अर हुं सेकुं फेफङा, उम्मीद तो म्हारी ही सेकणै री रोटीया, पण म्हनै सुणिजै गुङ गुङ अर कूकता फेफङा। लारलै जलम रा बुरा करीयोङा, ई जलम मे म्हारै आडा आवै, ई जलम मे आछो काम नी कर सकियो, अर अंतिम सांस भी ई होकै मे लेणी पङै। फेफङा म्हनै गाळिया निकाळै क तमाखू मत सिळगा, पण इयानै कुण समजावै क म्हनै धीगाणी पकङ लाया, म्हारौ तो काम रोटीया सेकणै रो है साब फेफङा नही, ओ काम तो गुलामी मे करु साब आजादी मे नही। - सुनील कुमार नायक