Raj Ashok 06 Nov 2023 कविताएँ अन्य एक दिन 13648 0 Hindi :: हिंदी
जरुरत, जरुरत,जरूरत, एक मजबुरी है । औकात के आईने पे जब जमी हो घुल । , देखिए तब तेवर, अपनो के मोल- भाव के बाजार गर्म हो जाएगे , फुर्सत ,कहा फिर पास किसी के बिना खेले , हार जीत के फैसले सुनाऐ जाएगे । सब लोगों का तब होगा एक ही,अनुमान हार जाएगा वो । पर संघर्ष ,ओर मेहनत से हमेशा , जीवन मे हर खेल के नतीजे बदले जाते है। अपने कर्म पर हो जिसे यकिन वोअपने कर्तव्य, पथ से कभी विचलित नही होते । फिर एक दिन सब बदल जाता है।