Rupesh Singh Lostom 04 May 2023 कविताएँ समाजिक फुरसत चाहिए 8152 0 Hindi :: हिंदी
मुझे भी अवकाश चाहिए जितना काटना हैं काट लो आपस में सब बाट लो बस एक दिन विश्राम चाहिए ! मैं थक गया हु सब के बोझ उठा के दव गया हु पेड़ पौधे नदिया झरना जंगल चटान पर्वत पहाड़ समंदर जिव जंतु आप सब के भार से आधा मर गया हु बस अब थोड़ा आराम चाहिए ! जंगल जितना उजाड़ सको नेचर जितना बिगड़ सको पर्वतों को बेसक मलबा बना डालो जो करना हैं करो जहर खा के या अपने उत्पात से मारो बस मुझे तो एक दिन की फुरसत चाहिए ! मैं भी दुनिया के सैर करना चाहता हु बैंकॉक थालेंड धूमना चाहता हु बस एक दिन की छुट्टी चाहता हु !