Ujjwal Kumar 10 Jul 2023 कविताएँ बाल-साहित्य New Friendsship poem...write by ujjwal kumar दोस्तों कि डोर दबाते रहिये। 9053 0 Hindi :: हिंदी
दोस्तों कि डोर दबाते रहिये, पुराने साथियों को सताते रहिये। प्रेम और क्रोध को जताते रहिये, कभी हाले दिल बताते रहिये। कभी अपनी खबर सुनाते रहिये, दोस्तों कि डोर दबाते रहिये। कभी अपने घर कि देहरी लांघ, दोस्तों कि चक्कर लगाते रहिये। साथ में सुख दुख सुनाते रहिये, दोस्तों कि डोर दबाते रहिये। जब मन अनमना सा महसूस करें, दोस्ती का अहसास कराते रहिये। बिना मतलब भी बतियाते रहिये जब करने को कोई काम न सूझे, दोस्तों कि डोर दबाते रहिये। टूटे दिलों को इस दिलाते रहिये, किस्मत के रुख़ को हंसाते रहिये। जीवन से मायूस हो चुके दिलो में, आशाओं का दीपक जलायें रहिये। दोस्तों कि डोर दबाते रहिये ऐसा न हो कि मन पछताते रहे, वक्त को भी मुट्ठी में फंसाते रहिये। मिले जब भी तुमको खाली समय, प्रियजनों को गले लगाते रहिये। करने को कुछ भी न सूझ रहा है, दोस्तों कि डोर दबाते रहिये। ।। युवा रचनाकार ।। ✍उज्जवल कुमार