चंद्र प्रकाश 08 Apr 2023 कविताएँ समाजिक 9767 0 Hindi :: हिंदी
बच्चो हमे मिलने आया करो बच्चो ! याद हमारी नहीं आती ?, मिलने की तड़फ लुप्त हुई, संस्कारों की संस्कृति गुप्त हुई, चूक हमारी, समझ तुम्हारी निखर नहीं पाई, याद तुम्हारी, तड़फ हमारी, तुम्हे बुलाती बच्चो ! याद हमारी नहीं आती ? कैसे बताऊँ तुम मेरे हो, हमसे मोह, किन्तु मिलते नहीं नजदीक होकर भी दूर हो कभी हमें भी पढने आया करो, कोई शादी हुई तो पराया हुआ, मेरे प्रेम को यूं जाया ना करो, फ़ोन पे मजबूर हो, हम पर क्रूर हो, साथ रहकर भी दूर हो, तुम मेरी याद हो, इतने आबाद हो, हमसे क्या मिलना, चूकी तुम आजाद हो तुम मेरी रगों में बहते रक्त हो, कल का भविष्य, आज का वक्त हो, हम गुजरे कल हें, सो हम पर शख्त हो अपने खून को यूं लजाया ना करो,दिल में चाचा के नाम की लो जला, मिलने के लिए भी यूं तडफाया ना करो बिना याद किये हमसे मिलने आया करो चन्द्र प्रकाश