Ajeet 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य गर्मियों के मोसम वाली कवितायें 52345 0 Hindi :: हिंदी
गर्मियों के मोसम को में सहता गया पसीना शरीर से मेरे निकलता गया / कभी छांव की तलाश तो कभी पलास की तलाश में में इधर उधर भटकता गया कभी पत्तों को ढूंढता तो कभी डालियों को ढूंढता में इधर उधर ताकता गया , गाँव की गलियों में घूमा फिर मिला अनोखा गुलमोहर का पेड़ जिसे में देखता गया देखता गया, लदपद फूलों के गुच्छे लदपद पत्ते कच्चे जो छांव देते मन के सच्चे ऐसे पत्तों को में ताकता गया, उनकी छांव से में पसीने को पूछता गया, हवाओं से बोलने वाले गुलमोहर पर खिलने वाले मेरे पसीने को पूछते गये और गुलमोहर के पत्तों से गर्मियों के मोसम को में सहता गया /