Shivani singh 26 Jun 2023 कहानियाँ अन्य 2866 0 Hindi :: हिंदी
एक समय की बात है, एक गांव में एक युवक नामकरण समारोह में बहुत बड़ा दिन मना रहा था। युवक का नाम सयम था और वह बहुत ही सामर्थ्यशाली और बुद्धिमान था। उसके पिता ने उसे देखते हुए सोचा कि वह अगले समय समारोह में पहुंचने के लिए पूरी तैयारी करेगा। एक दिन, जब सयम अपनी पढ़ाई कर रहा था, उसके पास एक पुरानी पुस्तक आ गई जिस पर "संतोष और आत्मनिर्भरता" लिखा था। वह पुस्तक उसे बहुत प्रभावित कर गई क्योंकि उसमें संतोष की महत्ता के बारे में विस्तार से वर्णन था। सयम ने वहां दिए गए एक कहानी को पढ़ा, जिसमें एक राजा और उसके मंत्री थे। एक दिन राजा ने अपने मंत्रियों से कहा, "मुझे ऐसा व्रत चाहिए जिससे मैं एक पूरी सप्ताह तक खाना-पीना नहीं करूँगा।" मंत्रियों ने राजा की इच्छा को सुनते हुए एक ऐसा व्रत बनाया जिसमें राजा को सप्ताह में एक बार भोजन करने की अनुमति थी। राजा ने उस व्रत को मान लिया और सप्ताह के दौरान व ह बहुत कमजोर हो गए। उनकी सेवकों ने उन्हें बहुत सारा खाना देने की कोशिश की, लेकिन राजा ने मना कर दिया। सप्ताह के अंत में, राजा बहुत दुखी हो गए और इस व्रत का परिणामस्वरूप उन्हें स्वस्थ्य नहीं रहने की समस्या हो गई। सयम को यह कहानी पढ़कर संतोष की महत्ता समझ में आ गई। उसने अपने पिताजी से व्रत के बारे में बात की और कहा, "पिताजी, मैं यह समझ गया हूँ कि संतोष और आत्मनिर्भरता हमारे जीवन के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। मुझे एक बार यह परीक्षा पास करने के बजाय व्रत रखने का निर्णय लेना चाहिए।" पिताजी ने उसे धीरज से सुना और फिर कहा, "बेटा, तू बहुत बुद्धिमान है और मैं गर्व करता हूँ तुझपर। अगर तू व्रत रखने का निर्णय लेता है, तो मैं तुझे समर्थन करूंगा। यह एक महत्वपूर्ण परीक्षा है और इसे पास करना तेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।" इस प्रकार, सयम ने परिवर्तन का निर्णय लिया और अपने लक्ष्य की ओर प्रगति की। उसन े धैर्य और आत्मनिर्भरता के साथ पढ़ाई की और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किए। सयम ने व्रत के माध्यम से संतोष का महत्व समझा और आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया। इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में संतोष और आत्मनिर्भरता हमें सफलता की ओर ले जाती हैं। हमें अपने लक्ष्यों की ओर प्रगति करने के लिए संतोषपूर्ण रहना चाहिए और आत्मनिर्भरता से काम करना चाहिए।